Araria (Bihar) : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के टिकट बंटवारे को लेकर सियासत गरमाई हुई है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय परशुराम परिषद के संयोजक अजय झा ने नरपतगंज विधानसभा सीट से पार्टी टिकट न मिलने पर आत्मदाह का प्रयास किया, लेकिन समय रहते उनके परिवार और समर्थकों ने उन्हें रोक लिया। इस घटना से बड़ा हादसा टल गया।
भाजपा में 25 वर्षों का योगदान
अजय झा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उन्होंने 1985 में यूथ कांग्रेस से राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी और पिछले 25 सालों से भाजपा के लिए तन-मन-धन से काम किया। उन्होंने दावा किया कि लोकसभा चुनाव के दौरान कई वरिष्ठ नेताओं जैसे मंत्री मंगल पांडे, केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय और प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल ने उन्हें भरोसा दिलाया था कि आगामी विधानसभा चुनाव में उन्हें टिकट मिलेगा।
भरोसा टूटा, कफ़न ओढ़कर जताया विरोध
अजय झा ने कहा, “जैसे ही चुनाव करीब आया, भरोसे की जगह धोखा मिला। मुझे जोकीहाट से टिकट मिलने की बात कही गई थी, लेकिन वहां भी उम्मीदवार बदल दिया गया। पार्टी ने मेहनत करने वालों की बजाय जातीय समीकरणों को तरजीह दी।” उन्होंने आगे कहा, “अब मैंने कफ़न ओढ़ लिया है और कभी भी कुछ भी कर सकता हूँ।”

पत्नी ने जताया आक्रोश
अजय झा की पत्नी संजू झा ने भी पार्टी नेतृत्व पर नाराज़गी जताई। उन्होंने कहा, “मेरे पति ने पार्टी के लिए दिन-रात मेहनत की, लेकिन हर बार उन्हें नजरअंदाज किया गया। अगर नरपतगंज यादवों की और फारबिसगंज बनियों की सीट है, तो पार्टी को स्पष्ट कर देना चाहिए। जब टिकट जाति के आधार पर बांटे जा रहे हैं, तो ‘सबका साथ, सबका विकास’ का नारा खोखला साबित होता है।”
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