Johar Live Desk : हिंदू पंचांग के अनुसार, साल का सबसे बड़ा पांच दिवसीय पर्व दीपोत्सव इस बार उमंग और उल्लास के साथ मनाया जाएगा। शहरवासी उत्तम स्वास्थ्य, बुराइयों का अंत, धन प्राप्ति, सद्भाव और परिवार की रक्षा के संदेश वाले इस पर्व की तैयारियों में जुट गए हैं। प्रसिद्ध ज्योतिष आचार्य प्रणव मिश्र के अनुसार, दीपोत्सव का शुभारंभ कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी यानी धनतेरस 18 अक्टूबर से होगा और कार्तिक शुक्ल द्वितीया यानी भाई दूज 23 अक्टूबर तक चलेगा। मुख्य दीपावली पर्व सोमवार, 20 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
आचार्य मिश्र ने बताया कि प्रदोष एवं रात्रि में अमावस्या तिथि होने के कारण दीपावली 20 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी। दीपावली अमावस्या तिथि की रात्रि में मनाने का विधान है। कार्तिक अमावस्या 20 अक्टूबर को दोपहर 02:44 बजे प्रवेश करेगी और 21 अक्टूबर को संध्या 04:26 बजे तक रहेगी। इसलिए रात्रि व्यापिनी अमावस्या 20 अक्टूबर को होगी, जबकि स्नान-दान की भौमवती अमावस्या 21 अक्टूबर को। इस आधार पर दीपावली का पवित्र पर्व 20 अक्टूबर को ही संपन्न होगा।
दीपोत्सव के छह प्रमुख त्योहार
दीपोत्सव छह दिवसीय पर्व के रूप में मनाया जाएगा। यहां प्रमुख तिथियां और महत्व इस प्रकार हैं :

- 18 अक्टूबर : धनतेरस – उत्तम स्वास्थ्य के लिए।
- 19 अक्टूबर : छोटी दिवाली (नरक चतुर्दशी या रूप चतुर्दशी) – बुराई के अंत के लिए।
- 20 अक्टूबर : दिवाली (लक्ष्मी पूजा) व महाकाली पूजा – धन प्राप्ति के लिए।
- 21 अक्टूबर : भौमवती अमावस्या – स्नान-दान के साथ।
- 22 अक्टूबर : गोवर्धन पूजा – सौहार्द बढ़ाने के लिए।
- 23 अक्टूबर : भाई दूज – भाइयों की दीर्घायु के लिए।
पहला दिन : धनतेरस – उत्तम स्वास्थ्य के लिए
आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि का जन्मोत्सव धनतेरस 18 अक्टूबर को मनाया जाएगा। सुबह, दोपहर और शाम को विशेष पूजन होगा। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, संध्या काल में चौमुखा दीपक जलाने से अकाल मृत्यु से रक्षा होती है। इस दिन बर्तन और आभूषण खरीदना शुभ माना जाता है।
धनतेरस में खरीदारी के चौघड़िया मुहूर्त :
- शुभ : सुबह 07:14 से 08:41 तक
- चर : सुबह 11:34 से 12:59 तक
- लाभ : दोपहर 12:59 से 02:26 तक
- अमृत : 02:26 से 03:53 तक
- लाभ : संध्या 05:19 से 06:53 तक
- शुभ : रात्रि 08:26 से 10:00 तक
दूसरा दिन : रूप चतुर्दशी – बुराई के अंत के लिए
कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी 19 अक्टूबर को रूप चतुर्दशी और छोटी दिवाली मनाई जाएगी। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया था, इसलिए तिल तेल लगाकर उबटन स्नान का विधान है। इससे नारकीय यातनाओं से मुक्ति मिलती है। शाम को 7 या 11 दीपक जलाए जाएंगे।
खरीदारी के चौघड़िया मुहूर्त :
- चर : सुबह 07:15 से 08:41 तक
- लाभ : 08:41 से 10:07 तक
- अमृत : 10:07 से 11:33 तक
- शुभ : 12:59 से 02:26 तक
- शुभ : संध्या 05:18 से 06:52 तक
- अमृत : 06:52 से 08:26 तक
- चर : 08:26 से 09:59 तक
तीसरा दिन : दीपावली – धन प्राप्ति के लिए लक्ष्मी पूजन
20 अक्टूबर को दीपावली पर माता महालक्ष्मी, गणेशजी, कुबेर और महाकाली का पूजन होगा। आचार्य प्रणव मिश्र के अनुसार, पूजन प्रदोष काल, स्थिर लग्न और रात्रि में करना श्रेष्ठ है। इस साल अमावस्या रात्रि 12:42 बजे तक रहेगी, इसलिए संपूर्ण रात्रि पूजन उत्तम रहेगा।
घरों में महालक्ष्मी पूजन के मुहूर्त :
- अमृत : सुबह 05:49 से 07:15 तक
- शुभ : सुबह 08:41 से 10:07 तक
- चर : दोपहर 12:59 से 02:25 तक
- लाभ : 02:25 से 03:51 तक
- अमृत : 03:51 से 05:17 तक
- चर : संध्या 05:17 से 06:51 तक
- लाभ : 09:59 से 11:33 तक
- शुभ : रात्रि 01:07 से 02:41 तक
व्यापारियों के लिए स्थिर लग्न :
- वृश्चिक : सुबह 08:06 से 10:23 तक
- कुंभ : दोपहर 02:13 से 03:44 तक
- वृष : संध्या 06:51 से 08:48 तक
- सिंह : रात्रि 01:19 से 03:33 तक
- प्रदोष काल : 05:17 से 07:56 तक
21 अक्टूबर : भौमवती अमावस्या – स्नान-दान का महत्व
इस वर्ष अमावस्या दो दिन रहेगी। भौमवती अमावस्या (मंगलवार को पड़ने वाली) पर पवित्र नदी में स्नान और दान से पितृदोष से मुक्ति मिलती है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
पांचवां दिन : गोवर्धन पूजा – सौहार्द बढ़ाने के लिए
कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा 22 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा मनाई जाएगी। श्रीराम की अयोध्या वापसी की खुशी में देवालयों में नए अन्न और सब्जियों का अन्नकूट भोग लगेगा। घरों और मोहल्लों में गोवर्धन पूजा कर रिश्तेदारों से दीपावली की बधाई साझा की जाएगी।
छठा दिन : भाई दूज – भाइयों की दीर्घायु के लिए
कार्तिक शुक्ल द्वितीया 23 अक्टूबर को भाई दूज पर बहनें भाइयों के स्वास्थ्य और लंबी उम्र की कामना से पूजा करेंगी, तिलक लगाएंगी और भोजन कराएंगी।
दीपावली पर विशेष उपाय
आचार्य मिश्र ने दीपावली पर कुछ उपाय सुझाए हैं :
- श्री सूक्त का पाठ करें और खीर की आहुति दें, इससे सुख-शांति और सौभाग्य प्राप्त होता है।
- मंत्र “ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मीयै नमः” से 11 माला जपें। 11 कौड़ियां, 7 गोमती चक्र, 5 लाल कमल गट्टे, 9 कमलगट्टे और 7 हल्दी अभिमंत्रित कर लाल कपड़े में पोटली बनाकर तिजोरी में रखें।
- एक सुपारी, तांबे का सिक्का और 7 गोमती चक्र पीपल के पेड़ के नीचे रखें। अगले दिन पीपल का पत्ता सहित लेकर तिजोरी में रखें।
- महालक्ष्मी स्तोत्र 11 बार और भगवद्गीता के 11वें अध्याय का एक बार पाठ करें, लक्ष्मी कृपा प्राप्त होगी।
प्रसिद्ध ज्योतिष
आचार्य प्रणव मिश्रा
आचार्यकुलम, अरगोड़ा, रांची
8210075897
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