
Johar Live Desk : शारदीय नवरात्रि 2025 का शुभारंभ सोमवार यानी 22 सितंबर से हो रहा है। यह नौ दिनों का पर्व मां दुर्गा की भक्ति और शक्ति का प्रतीक है। इस दौरान मां के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाएगी। नवरात्रि की शुरुआत कलश स्थापना (घटस्थापना) के साथ होगी। पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा होगी, जिन्हें सौभाग्य, शक्ति और स्थिरता की देवी माना जाता है। मां शैलपुत्री का जन्म हिमालय पर्वत पर हुआ, इसलिए उन्हें शैलपुत्री कहा जाता है।
शुभ मुहूर्त :
- सुबह का मुहूर्त : सुबह 06:27 से 08:16 तक (1 घंटा 48 मिनट)
- अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 12:07 से 12:55 तक (48 मिनट)
यदि सुबह के समय कलश स्थापना न हो सके, तो अभिजीत मुहूर्त में भी यह कार्य किया जा सकता है।
पूजा सामग्री :
- मिट्टी का चौड़े मुंह वाला कलश
- सप्तधान्य (7 प्रकार के अनाज)
- गंगाजल, कलावा, आम या अशोक के पत्ते
- नारियल, सुपारी, अक्षत (कच्चा चावल)
- लाल कपड़ा, पुष्प, पुष्पमाला, मिठाई, सिंदूर, दूर्वा
पूजा की सरल विधि
- सुबह स्नान कर पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
- चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर मां दुर्गा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- कलश में जल और सप्तधान्य डालें, ऊपर आम के पत्ते और नारियल रखें।
- संकल्प लेकर मां दुर्गा को आमंत्रित करें।
- मां को लाल वस्त्र, फूल, माला और श्रृंगार चढ़ाएं।
- दीप-धूप जलाएं, गोबर के उपले से हवन करें और घी, लौंग, बताशे, कपूर की आहुति दें।
- नवरात्रि कथा पढ़ें, मां की आरती करें और सात्विक भोग (खीर या बर्फी) अर्पित करें।
मां शैलपुत्री का भोग
मां शैलपुत्री को गाय के दूध या घी से बनी खीर, बर्फी या अन्य सात्विक चीजें भोग के रूप में चढ़ाई जाती हैं।
मां शैलपुत्री के मंत्र
बीज मंत्र: ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥
स्तोत्र मंत्र :
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
यह पर्व भक्तों के लिए मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करने का विशेष अवसर है। नौ दिनों तक उपवास, पूजा-पाठ और भक्ति के साथ मां की कृपा पाई जा सकती है।
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