Ranchi: झारखंड की एक जेल में बंद कैदी के न्यायिक हिरासत के दौरान HIV संक्रमित होने के मामले को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है। जस्टिस एस.एन. प्रसाद और जस्टिस संजय प्रसाद की खंडपीठ ने इसे चिकित्सा व्यवस्था की गंभीर विफलता और मानवाधिकारों का उल्लंघन बताया।
अदालत ने राज्य सरकार की जेल और स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर सवाल उठाते हुए संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया। मामला तब सामने आया जब सुनवाई के दौरान पता चला कि एक आरोपी, जो 2 जून 2023 से हिरासत में था, उसे हिरासत के दौरान HIV संक्रमण हुआ। प्रारंभ में वह धनबाद जिला कारा में था और 10 अगस्त 2024 को हजारीबाग के लोकनायक जयप्रकाश नारायण केंद्रीय जेल में स्थानांतरित किया गया। 24 जनवरी 2024 को उसकी मेडिकल जांच में HIV पॉजिटिव होने की पुष्टि हुई।
कोर्ट ने इसे जेल व्यवस्था की लचरता और न्यायिक हिरासत में मानव गरिमा की उपेक्षा का उदाहरण बताया। अदालत ने जेलों में भीड़भाड़, चिकित्सा सुविधाओं की कमी और नियमित स्वास्थ्य जांच में लापरवाही पर चिंता जताई। अदालत ने तीन वरिष्ठ अधिकारियों को 25 सितंबर 2025 को अगली सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया है: झारखंड सरकार के स्वास्थ्य सेवा निदेशक, हजारीबाग केंद्रीय जेल के चिकित्सा पदाधिकारी और जेल अधीक्षक।
कोर्ट ने कहा कि यह स्पष्ट रूप से जांच का विषय है कि न्यायिक हिरासत में रहे आरोपी को HIV संक्रमण कैसे हुआ। इसे केवल चिकित्सा चूक नहीं, बल्कि कैदियों की सुरक्षा और सम्मानजनक जीवन के मौलिक अधिकार का उल्लंघन भी माना गया। अदालत ने संकेत दिया कि जरूरत पड़ने पर व्यापक जांच का आदेश दिया जा सकता है।