Johar Live Desk : दुबई में एशिया कप 2025 का बहुप्रतीक्षित मुकाबला रविवार को भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाला है। लेकिन क्रिकेट के मैदान से ज्यादा इस मैच की चर्चा भारत की राजनीति में हो रही है। हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधा और मैच रद्द करने की मांग की है। इस मुद्दे पर बहस छिड़ गई है कि क्या खेल और आतंकवाद को अलग रखना चाहिए?
सरकार का तर्क : “नहीं खेले तो टूर्नामेंट से बाहर”
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि यह कोई द्विपक्षीय सीरीज नहीं, बल्कि एशियन क्रिकेट काउंसिल (ACC) का मल्टी-नेशनल टूर्नामेंट है। ऐसे में हिस्सा लेना अनिवार्य है। उन्होंने कहा, “अगर हम नहीं खेलते, तो टूर्नामेंट से बाहर होना पड़ेगा और पाकिस्तान को बिना खेले अंक मिल जाएंगे।” ठाकुर ने साफ किया कि भारत की नीति स्पष्ट है—जब तक पाकिस्तान आतंकी हमले बंद नहीं करता, तब तक कोई द्विपक्षीय सीरीज नहीं होगी।
विपक्ष का हमला : “खून और क्रिकेट एक साथ नहीं”
विपक्ष ने सरकार की दलीलों को खारिज किया है। आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता संजीव झा ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तानी सेना द्वारा भारतीय विधवाओं के अपमान की घटना का जिक्र किया। उन्होंने सवाल उठाया, “मोदी जी कहते थे कि खून और पानी एक साथ नहीं बहेगा, तो खून और क्रिकेट कैसे? देश की बहनों का अपमान होने के बाद भी दुश्मन से क्रिकेट कैसे खेल सकते हैं?”
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोशल मीडिया पर लिखा, “प्रधानमंत्री जी को पाकिस्तान से मैच करवाने की क्या जरूरत? क्या यह ट्रंप के दबाव में हो रहा है?”
शिवसेना (UBT) नेता उद्धव ठाकरे ने भी मैच का विरोध किया। उन्होंने कहा कि जब जवान सीमा पर लड़ रहे हैं और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसी कार्रवाइयां हो रही हैं, तब पाकिस्तान से क्रिकेट खेलना गलत है। इसे “देशभक्ति का धंधा” बताते हुए उन्होंने जनता से मैच के बहिष्कार की अपील की और अपने पिता बालासाहेब ठाकरे का हवाला दिया, जो ऐसे मैचों के खिलाफ थे।
खेल और देशभक्ति की बहस
यह विवाद खेल और राष्ट्रीय भावनाओं के बीच पुरानी बहस को फिर से सामने लाया है। सरकार का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय नियमों के कारण खेलना जरूरी है, जबकि विपक्ष इसे शहीदों का अपमान बता रहा है। फिलहाल, मैच तय समय पर होगा, लेकिन राजनीतिक तनातनी जारी है। यह देखना बाकी है कि क्या यह विवाद मैदान पर खिलाड़ियों के प्रदर्शन को प्रभावित करेगा।
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