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    Home»झारखंड»सीतारामपुर जलाशय में पहली बार केज पद्धति से मछली पालन शुरू
    झारखंड

    सीतारामपुर जलाशय में पहली बार केज पद्धति से मछली पालन शुरू

    Sneha KumariBy Sneha KumariJuly 27, 2025No Comments2 Mins Read
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    सीतारामपुर
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    Seraikela-Kharsawan : सरायकेला-खरसावां जिले के गम्हरिया प्रखंड स्थित सीतारामपुर जलाशय में इस साल पहली बार केज पद्धति से मछली पालन शुरू किया गया है। यह पहल धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान योजना के तहत की गई है। इस योजना के अंतर्गत 8 लाभुकों को 32 केज यूनिट उपलब्ध कराए गए हैं।

    इस योजना का उद्देश्य आधुनिक तकनीक और वैज्ञानिक तरीकों से मछली उत्पादन को बढ़ाना है। योजना में कुल लागत का 90% अनुदान सरकार द्वारा (केंद्र और राज्य मिलकर) दिया जाता है, जबकि 10% राशि लाभुकों को देना होता है।

    क्या है केज तकनीक?

    केज कल्चर एक नई तकनीक है जिसमें पानी में तैरते जालों (केज) में मछलियों को पाला जाता है। इन जालों को खास तरह से तैयार किया जाता है ताकि कोई जलीय जीव उन्हें नुकसान न पहुंचा सके। मछलियों को नियमित आहार देकर बड़ा किया जाता है।

    जलाशय के इतिहास से जुड़ी जानकारी

    सीतारामपुर जलाशय का निर्माण 1960 में हुआ था और 1963 से इसमें जल संग्रहण शुरू हुआ। इसके निर्माण से करीब 1300 परिवार विस्थापित हुए थे, जिन्हें अब मछली पालन से जोड़ा गया है। वर्ष 2007 से यहां के लोग मत्स्य पालन में लगे हैं।

    मत्स्य पालन से आय में बढ़ोतरी

    इस जलाशय में पहले पारंपरिक तरीके से मछली शिकार होता था, जिससे आय कम होती थी। अब अंगुलिकाओं के बेहतर संचयन और छाड़न निर्माण से मछली उत्पादन में 8 से 10 गुना तक वृद्धि हुई है।

    जलाशय में चल रही अन्य गतिविधियां

    यहां रिवराइन फिश फार्मिंग, मछली-सह-बत्तख पालन, पारंपरिक नाव योजना और गिल नेट से मछली पकड़ने जैसी गतिविधियां भी चल रही हैं। मत्स्यजीवी समिति को झास्कोफिश द्वारा उपकरण और ऑफिस शेड भी दिया गया है।

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