Ranchi : भारत के चुनाव आयोग ने एक बड़ा फैसला लेते हुए पूरे देश में वोटर लिस्ट (मतदाता सूची) को नए सिरे से तैयार करने का आदेश दिया है. 24 जून, 2025 को जारी एक आदेश में आयोग ने कहा कि वह “स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन” (Special Intensive Revision) शुरू कर रहा है, जिसका मकसद वोटर लिस्ट को पूरी तरह से शुद्ध और अपडेट करना है.
क्यों लिया गया यह फैसला?
चुनाव आयोग के अनुसार, पिछले 20 सालों में देश में बड़े बदलाव हुए हैं. नौकरी, पढ़ाई और दूसरे कारणों से लोग एक शहर से दूसरे शहर या एक राज्य से दूसरे राज्य में जाकर बस गए हैं. इस प्रक्रिया को शहरीकरण और पलायन कहते हैं.
अक्सर ऐसा होता है कि लोग अपने नए पते पर तो वोटर लिस्ट में नाम जुड़वा लेते हैं, लेकिन पुराने पते की लिस्ट से अपना नाम कटवाना भूल जाते हैं. इससे एक ही व्यक्ति का नाम कई जगहों पर वोटर लिस्ट में दर्ज हो जाता है. इन गड़बड़ियों को दूर करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि केवल योग्य भारतीय नागरिक ही वोटर लिस्ट में शामिल हों, यह गहन जांच अभियान चलाया जा रहा है.
आयोग का कहना है कि एक साफ-सुथरी और सटीक वोटर लिस्ट स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए बेहद ज़रूरी है.
Election Commission of India in its 24th June order on Special Intensive Revision of Electoral Rolls stated, “Commission has now decided to begin the Special Intensive Revision in the entire country for the discharge of its constitutional mandate to protect the integrity of… pic.twitter.com/MaIxGenSat
— ANI (@ANI) July 25, 2025
क्या है यह स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन?
यह कोई मामूली सालाना अपडेट नहीं है. यह एक गहन जांच प्रक्रिया है, जिसमें लगभग हर वोटर का वेरिफिकेशन किया जाएगा. इसका मुख्य उद्देश्य हैं:
सभी योग्य नागरिकों (जो 18 साल के हो चुके हैं) का नाम लिस्ट में जोड़ना.
जो लोग अब योग्य नहीं हैं (जिनकी मृत्यु हो चुकी है या जो कहीं और शिफ्ट हो गए हैं) उनके नाम हटाना.
डुप्लीकेट या फर्जी नामों को लिस्ट से बाहर करना.
संविधान के अनुच्छेद 324 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 (RPA 1950) के तहत चुनाव आयोग को यह अधिकार मिला है कि वह ऐसी विशेष प्रक्रिया शुरू कर सकता है.
कैसे होगा यह काम?
यह अभियान पूरे देश में चलाया जाएगा. हालांकि, बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, इसलिए वहां यह प्रक्रिया अलग से और पहले शुरू कर दी गई है. देश के बाकी हिस्सों के लिए तारीखों का ऐलान जल्द ही किया जाएगा.
बिहार के उदाहरण से हम समझ सकते हैं कि यह प्रक्रिया कितनी गहन होगी:
वहां 2003 की वोटर लिस्ट को आधार माना गया है.
जो लोग पहले से वोटर लिस्ट में हैं, उन्हें एक पहले से भरा हुआ (pre-filled) फॉर्म दिया जाएगा, ताकि वे अपनी जानकारी की पुष्टि कर सकें. उन्हें यह फॉर्म 25 जुलाई, 2025 तक जमा करना है.
जिनका नाम 2003 की लिस्ट में नहीं था, उन्हें अपनी पात्रता साबित करने के लिए सरकारी दस्तावेज़ जमा करने होंगे.
जब यह प्रक्रिया आपके इलाके में शुरू होगी, तो चुनाव अधिकारी घर-घर जाकर वेरिफिकेशन कर सकते हैं. यह कदम भारतीय लोकतंत्र की नींव को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है.
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