New Delhi : विश्व धरोहर समिति के 47वें सत्र में एक ऐतिहासिक फैसले में ‘मराठा मिलिट्री लैंडस्केप ऑफ इंडिया’ को UNESCO की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है। यह भारत की 44वीं संपत्ति है, जिसे यह प्रतिष्ठित वैश्विक सम्मान प्राप्त हुआ है। यह मान्यता भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, स्थापत्य प्रतिभा और ऐतिहासिक निरंतरता को दर्शाती है।
59 मिनट की चर्चा में लिया गया फैसला
जनवरी 2024 में विश्व धरोहर समिति के विचारार्थ भेजे गए इस प्रस्ताव पर 18 महीने की कठिन प्रक्रिया के बाद, जिसमें सलाहकार निकायों के साथ तकनीकी बैठकें और आईसीओएमओएस के मिशन दौरे शामिल थे। शुक्रवार को पेरिस स्थित UNESCO मुख्यालय में यह निर्णय लिया गया। समिति की बैठक में 20 में से 18 सदस्य देशों ने भारत के प्रस्ताव का समर्थन किया। 59 मिनट की चर्चा के बाद सभी सदस्य देशों, UNESCO, विश्व विरासत केंद्र और सलाहकार निकायों (आईसीओएमओएस, आईयूसीएन) ने भारत के प्रतिनिधिमंडल को बधाई दी।
इन किलों को मिली मान्यता
महाराष्ट्र और तमिलनाडु में फैले चयनित स्थलों में महाराष्ट्र के साल्हेर, शिवनेरी, लोहगढ़, खंडेरी, रायगढ़, राजगढ़, प्रतापगढ़, सुवर्णदुर्ग, पन्हाला, विजयदुर्ग, सिंधुदुर्ग और तमिलनाडु का गिंजी किला शामिल हैं। ये किले भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और महाराष्ट्र सरकार के पुरातत्व और संग्रहालय निदेशालय द्वारा संरक्षित हैं। ये किले तटीय चौकियों से लेकर पहाड़ी गढ़ों तक विभिन्न भूभागों में स्थित हैं, जो रणनीतिक रक्षा योजना और दुर्ग निर्माण की नवीन परंपराओं को दर्शाते हैं।
किलों का वर्गीकरण
साल्हेर, शिवनेरी, लोहगढ़, रायगढ़, राजगढ़ और गिंजी पहाड़ी किले हैं। प्रतापगढ़ घने जंगलों में बसा एक पहाड़ी वन किला है। पन्हाला एक पहाड़ी पठार किला है। विजयदुर्ग एक तटीय किला है, जबकि खंडेरी, सुवर्णदुर्ग और सिंधुदुर्ग द्वीपीय किले हैं।
नेताओं ने दी बधाई
PM नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस उपलब्धि की सराहना करते हुए देशवासियों को बधाई दी। यह सम्मान भारत के सैन्य और सांस्कृतिक इतिहास को वैश्विक मंच पर और सशक्त करता है।
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