Ranchi : झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में शुक्रवार को ‘10 बेड आईसीयू परियोजना’ के तहत एक व्यापक क्रिटिकल केयर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम राज्य के ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों के सरकारी अस्पतालों में गहन चिकित्सा (क्रिटिकल केयर) सुविधाओं को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम है।
यह परियोजना कोविड-19 की डेल्टा लहर के दौरान उत्पन्न चुनौतियों के बाद शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य माध्यमिक स्तर के अस्पतालों में पूरी तरह सुसज्जित 10 बेड वाले आईसीयू की स्थापना कर, शहरी और ग्रामीण इलाकों के बीच की स्वास्थ्य सेवा की खाई को पाटना है।
झारखंड में पांच जिलों के अस्पतालों को किया गया शामिल
झारखंड में यह परियोजना कोल इंडिया के सहयोग और झारखंड सरकार के समर्थन से दो चरणों में लागू की जा रही है। पहले चरण में रांची, गुमला, लातेहार, चतरा और खूंटी के सदर अस्पतालों को रिम्स में स्थापित टेली-आईसीयू हब से जोड़ा गया है। इन अस्पतालों में अत्याधुनिक क्रिटिकल केयर उपकरण, डिजिटल केयर सॉफ्टवेयर और टेली-आईसीयू प्रणाली पहले ही स्थापित की जा चुकी है।
विशेषज्ञों द्वारा विभिन्न सत्र
रिम्स में हुए प्रशिक्षण में इन पांचों जिलों के चिकित्सक, फिजिशियन और नर्सिंग स्टाफ ने भाग लिया। प्रशिक्षण के दौरान बेसिक और एडवांस्ड लाइफ सपोर्ट (BLS और ACLS), ट्रॉमा प्रबंधन, वेंटिलेटर संचालन, पेलिएटिव केयर, मानसिक आपात स्थितियों और आईसीयू प्रोटोकॉल जैसे विषयों पर देशभर के विशेषज्ञों ने सैद्धांतिक और व्यवहारिक सत्र लिए।
क्लिनिकल दक्षता और गुणवत्ता बढ़ाने पर जोर
यह प्रशिक्षण कार्यक्रम न केवल स्टाफ की क्लिनिकल दक्षता को बढ़ाने के लिए है, बल्कि सभी अस्पतालों में सेवा की गुणवत्ता को मानकीकृत करने के लिए भी है। कार्यक्रम में झारखंड सरकार की सक्रिय भागीदारी रही, जिसने विभिन्न विभागों के समन्वय और स्टाफ की तैनाती में अहम भूमिका निभाई।
स्वास्थ्य नवाचार का बेहतरीन उदाहरण
‘10 बेड आईसीयू परियोजना’ को ई-गवर्नमेंट्स फाउंडेशन द्वारा संचालित किया जा रहा है और यह आईसीयू उपकरणों की आपूर्ति, डिजिटल सॉफ्टवेयर, टेली-आईसीयू, सघन प्रशिक्षण और समुदाय की भागीदारी जैसे पांच मुख्य स्तंभों पर आधारित है।
यह परियोजना मणिपुर, नागालैंड, सिक्किम, असम, मेघालय, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और पुडुचेरी जैसे राज्यों में पहले से ही सक्रिय है, और अब झारखंड में भी अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा चुकी है।
यह पहल सार्वजनिक स्वास्थ्य नेतृत्व, निजी परोपकार और डिजिटल नवाचार के सफल समन्वय का उदाहरण है, जो यह सुनिश्चित करती है कि गुणवत्तापूर्ण आईसीयू सेवाएं देश के हर कोने तक पहुंच सकें।
Also Read : ट्रक ने बाइक सवार दंपति को कुचला, पत्नी का पैर क’टा, पति का हाथ…