Ranchi : अपने बीमार पिता की इलाज को लेकर हॉस्पिटल-हॉस्पिटल भटकने वाले SI यानी सब इंस्पेक्टर नीरज कुमार गुप्ता का दर्द छलका है। खुद को बेहद बेबस और लाचार समझ रहे SI नीरज गुप्ता का इल्जाम है कि पिता के इलाज के वास्ते उन्होंने झारखंड कर्मचारी बीमा योजना का तनिक भी लाभ नहीं मिला। उल्टे उनसे कहा गया कि जबतक पिता के नाम का सवास्थ्य कार्ड डाउनलोग नहीं होगा, तबतक TPA के तहत इलाज नहीं हो सकता। इस बाबत SI ने जिला पुलिस एसोसिएशन से लेकर केंद्रीय पुलिस एसोसिएशन तक से मदद मांगी, पर नतीजा शून्य रहा। न ही स्वास्थ्य कार्ड डाउनलोड हुआ और न ही कोई आर्थिर मदद मिली। SI नीरज कुमार गुप्ता को तगड़ा झटका तब लगा बीते 18 जून को उनके पिता की तबियत अचानक बिगड़ गयी। वे अपने पिता को लेकर जमशेदपुर के मशहूर अस्पाल TMH पहुंचे। वहां, सब इंस्पेक्टर को बताया गया कि यह हॉस्पिटल टैग नहीं है। TMH से उनके बीमार पिता को धनबाद रेफर कर दिया गया। धनबाद में जरूरी जांच होने के बाद तुरंत ओपन हर्ट सर्जरी कराने को बोला गया। जिसका अनुमानित खर्च 375000 से 410000 रुपये बताया गया। इस दौरान कई दफा जिला पुलिस एसोसिएशन और केंद्रीय पुलिस एसोसिएशन के पदाधिकारियों से बात किया कि कल्याण कोष के किसी तरह की आर्थिक मदद मिल जाये, पर कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद SI ने निजी खर्च पर अपने बीमार पिता का ऑपरेशन बीते 22 जून को करवा लिया। सब इंस्पेक्टर का सिर्फ इतना कहना है कि उन्हें इस बात का जरा भी मलाल नहीं के पिता के इलाज में पैसे खर्च हो गये। वे आहत इस बात से हैं कि झारखंड कर्मचारी बीमा योजना पर काफी भरोसा किया और केंद्रीय पुलिस एसोसिएशन से आर्थिक सहयोग की उम्मीद में रहे, जहां से उन्हें निराशा मिली। जशेदपुर में पोस्टेड सब इंस्पेक्टर नीरज कुमार गुप्ता ने झारखंड कर्मचारी बीमा योजना को लॉलीपॉप योजना करार दिया है।
वहीं, इस मामले में झारखंड पुलिस एसोसिएशन के प्रदेश संयुक्त सचिव राकेश पांडेय ने बताया कि झारखंड कर्मचारी बीमा योजना लागू तो हो गयी है, पर पूरी तरह धरातल पर नहीं उतर पायी है। रही बात कल्याण कोष से मदद दिलाने की, तो वह मदद जरूर दी जायेगी। जरूरी दस्तावेज एसोसिएशन के पास पहुंचते ही मदद मिल जायेगी।
“झारखंड कर्मचारी बीमा/लॉलीपॉप योजना से आज मैं भी आहत हूं। मैं पुलिस अवर निरीक्षक नीरज कुमार गुप्ता, जमशेदपुर जिला बल में पदस्थापित हूं। दिनांक 06.06.2025 को मेरे पिता की तबियत अचानक बिगड़ गई और उन्हें सांस लेने में परेशानी होने लगी। उन्हें तत्काल अस्पताल में भर्ती किया गया। सरकार के द्वारा लागू किए गए योजना में मेरे पिता का स्वास्थ्य कार्ड डाउनलोड नहीं करने के कारण मैं जिला पुलिस एसोसिएशन एवं केंद्रीय पुलिस एसोसिएशन में बात किया पर उनके द्वारा बताया गया कि स्वास्थ्य कार्ड जब तक डाउनलोड नहीं हो जाता तब तक कोई भी बड़ा या छोटा अस्पताल इस योजना के तहत इलाज नहीं करेगा। इस कारण उनका मैंने अपने खर्च पर इलाज करवाया। किन्तु दो चार दिन बाद हेल्थ कार्ड डाउनलोड हो गया। इसके बाद दिनांक 18.06.25 को फिर से अचानक मेरे पिता की तबियत बिगड़ गई जिसे ले कर उन्हें जमशेदपुर के प्रचलित अस्पताल TMH में इलाज के लिए भर्ती किया गया। लेकिन अस्पताल और पुलिस एसोसिएशन के द्वारा बताया गया कि ये हॉस्पिटल टैग नहीं है। अभी तक केवल साधारण अस्पताल को इस योजना के तहत टैग किया गया है, जहां शायद सिर्फ छोटे मोटे इलाज होते हैं, जो कि कोई भी सरकारी कर्मी अपने निजी खर्च पर भी करवा सकता है। फिर 18.06.25 को शाम तक TMH से मेरे पिता को धनबाद रेफर किया गया। जहां सभी आवश्यक जांच करने के बाद अविलंब उनका OPEN HEART SURGERY करने के लिए कहा गया, जिसका अनुमानित खर्च 375000 से 410000 रुपये बताया गया। इस संबंध में पिछले चार दिनों से जिला पुलिस एसोसिएशन और केंद्रीय पुलिस एसोसिएशन के पदाधिकारियों से कई बार बात किया ताकि कल्याण कोष से कुछ आर्थिक सहयोग मिल सके। लेकिन अब तक कोई सहयोग नहीं मिला। अंततः मेरे परिवार के लोगों ने कहा कि सरकार की योजना और एसोसिएशन के भरोसे रहे तो कहीं कुछ अनर्थ ना हो जाए। फिर मैंने अपने पिता के बेहतर इलाज के लिए उनका दिनांक 22.06.2025 को निजी खर्च पर ऑपरेशन करवा लिया। डॉक्टर्स के द्वारा बताया गया कि ऑपरेशन उनका हो गया है लेकिन अगले 04-05 दिन उन्हें वेंटिलेशन पर रखना होगा। अब तक उनके इलाज में तकरीबन 4.5 से अधिक खर्च हो गया। दिक्कत इस बात से नहीं है कि 4.5 लाख रुपया खर्च कर हो गया, मैं आहत इस से हूं कि मैंने सरकार की इस योजना पर काफी भरोसा किया और केंद्रीय पुलिस एसोसिएशन से आर्थिक सहयोग की उम्मीद में रहा और अंत में मुझे सिर्फ निराशा मिली। खैर……….सर्वे भवन्तु सुखिना, सावे संतु निरामया।
आज मेरे इस मैसेज का मतलब ये नहीं है कि मैं मेरे इतने पैसे खर्च हुए या फिर मुझे सरकारी योजना का लाभ या फिर पुलिस कल्याण कोष से कोई आर्थिक लाभ नहीं मिला। इस घटना के बाद लगातार मेरे मन में यही बात आ रही है कि सरकारी योजना पर या फिर एसोसिएशन पर भरोसा कोई करे या ना करे।”
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