New Delhi : भारतीय पुरुष हॉकी टीम के अनुभवी फॉरवर्ड और दो बार के ओलंपिक पदक विजेता ललित उपाध्याय ने रविवार को अंतरराष्ट्रीय हॉकी से संन्यास की घोषणा कर दी। भारत ने एफआईएच प्रो लीग के अपने अंतिम मुकाबले में बेल्जियम को 4-3 से हराकर सीजन का समापन किया, जिसके तुरंत बाद ललित ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपने फैसले की जानकारी दी।
शानदार करियर, ऐतिहासिक उपलब्धियां
31 वर्षीय ललित उपाध्याय ने 2014 में भारतीय टीम में पदार्पण किया था और करीब 11 वर्षों तक टीम का अभिन्न हिस्सा बने रहे। उन्होंने भारत के लिए 179 अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में 41 गोल किए। उनके करियर की सबसे बड़ी उपलब्धियों में टोक्यो 2020 और पेरिस 2024 ओलंपिक में कांस्य पदक जीतना शामिल है। इसके अलावा उन्होंने एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों में भी भारत का नाम रोशन किया।
संघर्षों से सफलता तक
उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के एक छोटे से गांव से आने वाले ललित का सफर संघर्षों से भरा रहा। उन्होंने फेसबुक पोस्ट में लिखा, “यह सफर एक छोटे से गांव से शुरू हुआ, जहां संसाधन सीमित थे लेकिन सपने अनंत। एक स्टिंग ऑपरेशन से लेकर ओलंपिक पोडियम तक पहुंचना — वह भी दो बार — यह यात्रा चुनौतियों, सीख और गौरव से भरी रही।”
शुभचिंतकों का जताया आभार
अपने संन्यास संदेश में ललित ने अपने परिवार, कोच परमानंद मिश्रा, एयर इंडिया में अवसर देने वाले हरिंदर सर, मेंटर समीर भाई और दिग्गज खिलाड़ी धनराज पिल्लै का आभार व्यक्त किया। उन्होंने बीपीसीएल, अपने साथियों, हॉकी इंडिया और राज्य सरकार को भी धन्यवाद कहा। साथ ही उल्लेख किया कि वह डीएसपी पद की जिम्मेदारी भी गर्व से निभाएंगे।
हरमनप्रीत सिंह को बताया ‘सबसे अनमोल तोहफा’
ललित उपाध्याय ने भारतीय टीम के कप्तान हरमनप्रीत सिंह का विशेष रूप से उल्लेख करते हुए लिखा, “हॉकी ने मुझे सबकुछ दिया और उसमें तुम (हरमनप्रीत) सबसे कीमती तोहफा हो, भाई।”
प्रेरणादायक यात्रा
ललित उपाध्याय का करियर भारतीय हॉकी के इतिहास में प्रेरणास्रोत के रूप में हमेशा याद रखा जाएगा। उन्होंने यह साबित किया कि सीमित संसाधनों के बावजूद यदि जुनून और समर्पण हो, तो कोई भी वैश्विक मंच पर सफलता प्राप्त कर सकता है।
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