Joharlive Desk : प्रख्यात बाल अधिकार कार्यकर्ता और अधिवक्ता भुवन ऋभु को वर्ल्ड ज्यूरिस्ट एसोसिएशन (WJA) द्वारा ‘मेडल ऑफ ऑनर’ से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उन्हें डोमिनिकन रिपब्लिक में आयोजित वर्ल्ड लॉ कांग्रेस के दौरान प्रदान किया गया। कार्यक्रम में डोमिनिकन रिपब्लिक के श्रम मंत्री एडी ओलिवारेज ऑर्तेगा और डब्ल्यूजेए के अध्यक्ष जेवियर क्रेमाडेस ने उन्हें यह सम्मान सौंपा। इस अवसर पर वहां की महिला विभाग की मंत्री मायरा जिमेनेज भी मौजूद थीं।
भुवन ऋभु यह सम्मान पाने वाले पहले भारतीय अधिवक्ता बन गए हैं। इस प्रतिष्ठित वर्ल्ड लॉ कांग्रेस में 70 देशों के 1500 से अधिक कानून विशेषज्ञ और 300 से ज्यादा वक्ताओं ने हिस्सा लिया। यह आयोजन 4 से 6 मई के बीच हुआ।
सम्मान समारोह के दौरान भुवन ऋभु ने कहा, “न्याय की लड़ाई में बच्चों को कभी अकेला नहीं छोड़ना चाहिए। कानून उनकी ढाल और न्याय उनका अधिकार होना चाहिए।” डब्ल्यूजेए अध्यक्ष क्रेमाडेस ने कहा कि भुवन ऋभु ने अपना पूरा जीवन बच्चों और यौन हिंसा से पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाने में लगा दिया है।
भुवन ऋभु द्वारा स्थापित संगठन ‘जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन’ (JRC) देश में बच्चों के अधिकारों के लिए काम कर रहा है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों में 60 से ज्यादा जनहित याचिकाएं दायर की हैं, जिनमें कई ऐतिहासिक फैसले आए हैं। बिहार में जेआरसी के 32 सहयोगी संगठन राज्य के 38 जिलों में बाल अधिकारों की सुरक्षा पर कार्य कर रहे हैं। इनका लक्ष्य 2030 तक बाल विवाह को समाप्त करना है।
भुवन ऋभु की किताब ‘व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन’ में बाल विवाह रोकने की रणनीति को सुप्रीम कोर्ट ने 2024 में जारी दिशा-निर्देशों का आधार बनाया था। एनएफएचएस-5 के मुताबिक, बिहार में 40.8% लड़कियों की शादी 18 साल से पहले हो जाती है, जबकि राष्ट्रीय औसत 23.3% है।
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