Ranchi : झारखंड पेरेंट्स एसोसिएशन ने राज्य के निजी स्कूलों में हो रही अत्यधिक फीस वृद्धि, गैर-कानूनी री-एडमिशन चार्ज और वार्षिक शुल्क पर नाराजगी जताई है। एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि शिक्षा का व्यवसायीकरण नहीं किया जाएगा और राज्य सरकार से यह मांग की कि जब तक इन मामलों पर पारदर्शी निर्णय नहीं लिया जाता, तब तक सभी अतिरिक्त और अवैध फीस वसूली पर रोक लगाई जाए।
उन्होंने बताया कि झारखंड शिक्षा मंत्री और शिक्षा साक्षरता विभाग ने पहले ही सभी जिलों के उपायुक्तों को निर्देशित किया था कि झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण (संशोधन) अधिनियम 2017 के तहत सख्त कार्रवाई की जाए, लेकिन अब भी इसका उल्लंघन हो रहा है और प्रशासन चुप्पी साधे हुए है।
मुख्य उदाहरण:
रांची के एक निजी स्कूल ने 2024-25 सत्र में बिना पीटीए की बैठक या अभिभावकों की सहमति के 30% वार्षिक शुल्क बढ़ा दिया। विरोध करने पर अभिभावकों को बच्चों के नाम काटने की धमकी दी गई।
जमशेदपुर के एक स्कूल में पुराने छात्रों से ₹15,000 का री-एडमिशन चार्ज लिया गया, जो अवैध है और शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन है।
राय ने कहा कि डेढ़ महीने पहले इन मुद्दों को प्रशासन को सूचित किया गया था, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
एसोसिएशन की मांगें:
राज्य सरकार सभी जिलों को निर्देश दे कि जब तक फीस संरचना की निष्पक्ष जांच न हो जाए, तब तक कोई भी स्कूल अतिरिक्त या गैर-कानूनी शुल्क न ले।
प्रत्येक जिले में अभिभावकों के प्रतिनिधियों को शामिल कर निगरानी समिति का गठन हो।
शिक्षा न्यायाधिकरण अधिनियम 2017 का उल्लंघन करने वाले स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
पीटीए की अनिवार्यता लागू की जाए और उसके निर्णयों को मान्यता दी जाए।
यदि सरकार ने जल्द कदम नहीं उठाए, तो एसोसिएशन राज्यव्यापी आंदोलन शुरू करेगा और न्यायालय का रुख करेगा। अंत में अजय राय ने सभी अभिभावकों से एकजुट होकर इस अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाने की अपील की। “शिक्षा हमारा अधिकार है, कोई बिकाऊ व्यापार नहीं!”
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