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    Home»झारखंड»विश्व आदिवासी दिवस पर सीएम हेमंत सोरेन का संबोधन: “आदिवासी समाज की संस्कृति और अधिकारों के लिए संघर्ष की मिसाल दुनिया के सामने
    झारखंड

    विश्व आदिवासी दिवस पर सीएम हेमंत सोरेन का संबोधन: “आदिवासी समाज की संस्कृति और अधिकारों के लिए संघर्ष की मिसाल दुनिया के सामने

    Team JoharBy Team JoharAugust 9, 2024Updated:August 9, 2024No Comments4 Mins Read
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    मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन: विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर बिरसा मुंडा स्मृति पार्क में हो रहे कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे हैं। इस दौरान जब वे संबोधन के लिए स्टेज पर चढ़े तो उन्होंने “राउरे मन के जोहार” से सभी का अभिवादन किया। इसके बाद उन्होंने कहा कि आज विश्व आदिवासी दिवस है और राज्य में ये विश्व आदिवासी दिवस तीसरी बार मनाया जा रहा है।

    हर बार एक नए उत्साह के साथ हम यहां एकत्रित होते हैं। आज पूरे विश्व में लोग इस दिन को मना रहे हैं। ऐसे दिन हमेशा याद रखने के दिन होते हैं। आदिवासियों को देश-दुनिया का सबसे पुराना समाज कहा जाता है। कहा जाए कि आदिवासी समाज के बाद ही दूसरे समाजों का सृजन हुआ। कई समाज बने। इसी क्रम में ये आदिवासी समाज भी देश – दुनिया के अलग-अलग स्थानों अपनी संस्कृति, अपनी विरासत अपनी सभ्यता के साथ चल रहा है।  झारखंड प्रदेश में तो हमेशा से आदिवासियों ने अपनी संस्कृति, अपनी सभ्यता और अपने जल-जंगल-जमीन की रक्षा के लिए अधिकार की लड़ाई के लिए हमेशा अपना संघर्ष दुनिया को दिखाया है। हमें गर्व है कि हमने ऐसी धरती पर जन्म लिया। इस राज्य को वीरों की धरती भी कहा जाता है। 

    इस राज्य को अलग करने के लिए यहां के मूलवासी तथा आदिवासियों ने एक लंबा संघर्ष देखा और झेला है।  झारखंड अलग राज्य का इतिहास लगभग 40 50 सालों का रहा जिसमें अनेकों लोगों ने अपनी शहादत दी। आज हमारे बीच  शिबू सोरेन जी बैठे हैं लेकिन उनके कई साथी इस दुनिया से चले गये।

    हमें ये हमेशा याद रखना चाहिए कि अन्य राज्यों की अपेक्षा इस राज्य का अलग इतिहास रहा है। सदियों से यहां के आदिवासियों का शोषण होता रहा है। देश आजाद होने से पहले और देश आजाद होने के बाद भी लंबे समय तक यहां के लोग अलग-थलग रहे हैं। इसी कारण हमारे पूर्वजों ने राज्य अलग करने की ठानी। वर्ष 2000 में अनेकों कुर्बानियों के बाद इन लोगों ने हमें यह राज्य सौंपा है। राज्य बनने के बाद राज्य को विकास के पथ पर चलाने के लिए कई सरकारें आई और कई सरकारे गईं।  वर्तमान में 2019 से मैं सरकार चला रहा हूं। हमलोगों ने पहले आदिवासी दिवस कोरोना की वजह से नहीं मनाया था। लेकिन अब हमलोगों से फिर से इस कार्यक्रम को शुरू किया है और आदिवासियों के बीच आदिवासियों को संजोने का एक प्रयास हमने किया है। इस राज्य को देश-दुनिया सोने की चिड़िया कहती है। देश का सबसे ज्यादा खनिज संपदा इसी राज्य में मिलता है। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि यहां के लोग आज के दिन में भी देश के विकास में उन मानदंडो को पूरा नहीं कर पाते जो आज की आवश्यकता है। लेकिन हमलोगों ने नया आयाम छूने का प्रयास किया। विकास की गति को बढ़ाने का प्रयास किया।

    हमारे आने वाले पीढ़ी को बेहतर भविष्य मिल सके इसके लिए हमलोगों ने प्रयास किया है। चाहे मॉडल स्कूल के नाम पर, चाहे हमारे इस राज्य के गरीबों को सर्व जन पेंशन के नाम पर, चाहे इस राज्य की हर एक महिला को सम्मान राशि उपलब्ध कराने के नाम पर। बहुत सारी चीजें हैं और मैं योजनाओं को गिनाना नहीं चाहता। आज उत्साह का दिन है। हमें संकल्प लेने का भी दिन है। काफी मुश्किलों के बाद हम किसी पायदान पर पहुंचते हैं। 

    आज भी ऊंचे-ऊंचे पदों पर पिछड़ा आदिवासी नाम मात्र का मिलता है। आने वाला समय में हमारा यह समाज कैसे आगे बढ़े इसके लिए सरकार के तौर पर भी प्रयासरत होने की आवश्यकता है। इसमें आम नागरिक के नाते आपकी भूमिका अहम है। आपलोग के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए सरकार कटिबद्ध है। हर समय हर तरह से सरकार आपके साथ खड़ी है। लोगों को सरकार से काफी आशाएं हैं। उन आशाओं को पूरा करने के लिए हम निरंतर काम कर रहे हैं.

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