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    Home»जोहार ब्रेकिंग»नौजवान नये कौशल सीख कर भारत की नवान्वेषण की शक्ति का दर्शन करायें: मोदी
    जोहार ब्रेकिंग

    नौजवान नये कौशल सीख कर भारत की नवान्वेषण की शक्ति का दर्शन करायें: मोदी

    Team JoharBy Team JoharJuly 15, 2020No Comments5 Mins Read
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    Joharlive Desk

    नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नौजवानों का बुधवार काे आह्वान किया कि वे ज्ञान के साथ हुनर अथवा कौशल को भी सीखें और कोविड पश्चात के विश्व काे भारत की नवान्वेषण की शक्ति का दर्शन करायें।

    श्री मोदी ने विश्व कौशल दिवस के अवसर पर कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय द्वारा एक डिजिटल कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए यह आह्वान किया। इसी दिन पांच साल पहले स्किल इंडिया मिशन का शुभारंभ हुआ था।

    कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय, कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्य मंत्री आर.के. सिंह, और लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड के ग्रुप चेयरमैन ए.एम.नाइक ने भी इस सम्मेलन को संबोधित किया। लाखों की संख्‍या में प्रशिक्षुओं के व्यापक नेटवर्क सहित प्रणाली के सभी पक्षकारों ने इस सम्‍मेलन में भाग लिया।

    प्रधानमंत्री ने युवाओं से नये-नये कौशल सीखने और पुराने कौशल को उन्नत बनाने का आह्वान किया जिससे वे तेजी से बदलते कारोबारी माहौल और बाजार स्थितियों में निरंतर प्रासंगिक बने रह सके। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर देश के युवाओं को बधाई दी और कहा कि यह दुनिया सही मायनों में युवाओं की है क्‍योंकि उनमें सदैव नए कौशल हासिल करने की व्‍यापक क्षमता होती है।

    उन्होंने कहा, “21वीं सदी के युवाओं की, आज के नौजवानों की अगर सबसे बड़ी कोई ताकत है, तो उनका हुनर है, उनकी हुनर सीखने की क्षमता है। कोरोना के इस संकट ने विश्व संस्कृति के साथ ही कामकाज के तौर-तरीके को भी बदलकर के रख दिया है।और बदलती हुई नित्य नूतन तकनीक ने भी उस पर प्रभाव पैदा किया है। नई विश्व संस्कृति और नए कार्य संस्कार को देखते हुए, हमारे युवा नये-नये कौशल को तेजी से अपना रहे हैं।” उन्होंने कहा कि आज के दौर में कारोबार और बाज़ार इतनी तेजी से बदलते हैं कि उसमें प्रासंगिकता बनाये रखने के लिए हुनरमंद होना और भी अहम हो गया है।

    उन्होंने कहा कि इसी दिन पांच साल पहले शुरू किए गए ‘स्किल इंडिया मिशन’ से कौशल प्राप्‍त करने, नया कौशल सीखने एवं कौशल बढ़ाने के लिए एक विशाल अवसंरचना का निर्माण हुआ है और इसके साथ ही स्थानीय एवं विश्व दोनों ही स्तरों पर रोजगार प्राप्त करने के अवसर बढ़ गए हैं। इसकी बदौलत देश भर में सैकड़ों पीएम कौशल केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं और आईटीआई परिवेश या व्‍यवस्‍था की क्षमता काफी बढ़ गई है। इन ठोस प्रयासों के परिणामस्वरूप पिछले पांच वर्षों में पांच करोड़ से भी अधिक युवाओं को ‘कुशल’ बना दिया गया है।

    श्री मोदी ने कुशल कामगारों और नियोक्ताओं का खाका (मैपिंग) या विवरण तैयार करने के लिए हाल ही में लॉन्‍च किए गए पोर्टल का उल्‍लेख करते हुए कहा कि इससे घर लौटे प्रवासी श्रमिकों सहित अन्‍य कामगारों को आसानी से नौकरी पाने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही नियोक्ताओं को भी माउस को क्लिक करते ही कुशल कर्मचारियों से संपर्क करने में काफी आसानी होगी। उन्होंने कहा कि प्रवासी श्रमिकों के उत्‍कृष्‍ट कौशल से स्थानीय अर्थव्यवस्था को बदलने में भी काफी मदद मिलेगी।

    उन्‍होंने कहा कि कौशल दरअसल अनंत, अद्वितीय, अनमोल खजाना और एक साधन है जिसके जरिये न केवल रोजगार पाने लायक बना जा सकता है, बल्कि यह संतोषजनक जीवन जीने में भी मददगार साबित होता है। उन्होंने कहा कि नए कौशल हासिल करने के स्‍वाभाविक आकर्षण से व्यक्ति के जीवन में नई ऊर्जा उत्‍पन्‍न होती है और व्‍यापक प्रोत्साहन मिलता है। कौशल न केवल आजीविका का साधन है, बल्कि हमारी सामान्‍य दिनचर्या में स्‍वयं को जीवंत और ऊर्जावान महसूस करने का एक विशेष गुण या माध्‍यम भी है।

    प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में ‘ज्ञान’ और ‘कौशल’ के बीच के अंतर को भी सामने रखा। उन्होंने एक उदाहरण के साथ इसे स्‍पष्‍ट किया – यह जानना कि साइकिल कैसे चलती है, यह ‘ज्ञान’ है, जबकि वास्तव में स्‍वयं साइकिल चला लेना ‘कौशल’ है। युवाओं के लिए दोनों के बीच के अंतर को समझना और उनके विभिन्न संदर्भों एवं निहितार्थों को महसूस करना अत्‍यंत आवश्‍यक है। प्रधानमंत्री ने बढ़ई के कामकाज का एक उदाहरण देते हुए स्किलिंग, रिस्किलिंग और अपस्किलिंग के बीच की बारीकियों को समझाया।

    श्री मोदी ने देश में बड़ी संख्‍या में उपलब्‍ध कुशल कामगारों का उपयोग करने के मामले में भारत की व्‍यापक क्षमता पर प्रकाश डाला। उन्होंने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र का उदाहरण दिया जहां बड़ी संख्‍या में उपलब्‍ध कुशल भारतीय कामगार वैश्विक मांग को पूरा कर सकते हैं। उन्होंने इस मांग का खाका या विवरण तैयार करने और भारतीय मानकों को अन्य देशों के मानकों के अनुरूप करने की आवश्यकता पर बल दिया। इसी तरह उन्होंने यह सुझाव दिया कि लंबी समुद्री परंपरा का अनुभव रखने वाले भारतीय युवा इस सेक्‍टर में बढ़ती मांग को ध्‍यान में रखते हुए विश्‍व भर में मर्चेंट नेवी में विशेषज्ञ नाविकों के रूप में अहम योगदान कर सकते हैं।

    उन्होंने कहा, “कितना ही पढ़े-लिखे क्यों ना हों, कितनी ही डिग्रियां क्यों ना हो, फिर भी निरंतर स्किल भी बढ़ाते रहना चाहिए। लगातार नई-नई स्किल के लिए अपने आप को तैयार करना चाहिए। जिंदगी जीने का आनंद आएगा। जिंदगी के नए अवसरों को पाने का आनंद आएगा। और मुझे विश्वास है कि आप अपने हाथों की ताक़त, अपने उंगलियों की ताक़त, अपने दिल दिमाग की ताकत, एक हुनर के द्वारा पनपाएंगे और बढ़ाएंगे और खुद की प्रगति करेंगे, देश की भी प्रगति करेंगे।”

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