New Delhi : भारतीय जनता पार्टी (BJP) में अब संगठनात्मक बदलावों पर ध्यान केंद्रित होने की संभावना है, जिसमें सबसे अहम है पार्टी के अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव. हालांकि पार्टी की ओर से अभी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि पार्टी के अंदर इस पर चर्चा शुरू हो गई है और जून के मध्य तक चुनाव की औपचारिक प्रक्रिया शुरू हो सकती है.
खबरों के मुताबिक, बीजेपी ने अपने संविधान के अनुसार ज़्यादातर राज्यों में संगठनात्मक चुनाव पूरे कर लिए हैं, जो राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए एक ज़रूरी शर्त है.
हाल ही में उत्तर प्रदेश में 70 ज़िला अध्यक्षों की नियुक्ति के बाद इस बात की अटकलें और तेज़ हो गई हैं कि केंद्रीय नेतृत्व जल्द ही बीजेपी अध्यक्ष पद पर कोई फ़ैसला ले सकता है. हालांकि, कहा जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के कारण इस प्रक्रिया में थोड़ी देरी हुई है.
पहले राज्यों में होगा बदलाव
पार्टी के सूत्रों से पता चलता है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति से पहले, बीजेपी उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड जैसे प्रमुख राज्यों में नए प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव कर सकती है.
- उत्तर प्रदेश: यहाँ जातीय समीकरण बहुत मायने रखते हैं. बताया जा रहा है कि पहले किसी ब्राह्मण चेहरे पर विचार किया जा रहा था, लेकिन अब पार्टी के भीतर से ही एक ओबीसी नेता को अध्यक्ष बनाने की मांग बढ़ गई है. यह बीजेपी की ओबीसी वोट बैंक को और मज़बूत करने की कोशिश का हिस्सा हो सकता है.
- मध्य प्रदेश: यहाँ अभी मुख्यमंत्री ओबीसी समुदाय से हैं और प्रदेश अध्यक्ष ब्राह्मण हैं. यह संतुलन अब तक पार्टी के लिए कारगर रहा है. लेकिन अब, सूत्रों का कहना है कि पार्टी किसी आदिवासी नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाने पर विचार कर रही है, क्योंकि राज्य और राष्ट्रीय नेतृत्व में आदिवासियों का प्रतिनिधित्व फ़िलहाल कम है.
- उत्तराखंड: यहाँ प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए एक ब्राह्मण नेता का नाम सबसे आगे बताया जा रहा है, हालांकि अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.
राष्ट्रीय अध्यक्ष की दौड़ में ये तीन बड़े नाम हैं. भले ही राज्यों में समीकरण तय किए जा रहे हैं, लेकिन राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए संभावित दावेदारों के नाम भी पार्टी में चर्चा में आ गए हैं.
- धर्मेंद्र प्रधान: केंद्रीय मंत्री और ओडिशा से आने वाले एक प्रमुख ओबीसी नेता हैं. उन्हें उनकी संगठनात्मक कुशलता और केंद्रीय नेतृत्व से नज़दीकी के लिए जाना जाता है.
- शिवराज सिंह चौहान: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और अब एक केंद्रीय मंत्री हैं. उन्हें ज़मीनी अनुभव वाले एक बड़े जननेता के रूप में देखा जाता है.
- मनोहर लाल खट्टर: हरियाणा के मुख्यमंत्री की भूमिका से निकलकर केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हुए हैं. उन्हें निरंतरता और प्रशासनिक अनुभव का प्रतीक माना जा सकता है. इसलिए, कहा जा रहा है कि वे उन तीन बड़े नामों में से एक हैं, जिन्हें बीजेपी चुन सकती है.
सूत्रों के अनुसार, पार्टी का अंतिम निर्णय संगठनात्मक अनुभव, क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व और जातीय संतुलन जैसे कारकों को ध्यान में रखकर किया जाएगा.
नड्डा का कार्यकाल पूरा हो रहा है
मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जनवरी 2020 से इस पद पर हैं. 2024 के आम चुनावों को देखते हुए उनका कार्यकाल बढ़ाया गया था. अब जब यह काम पूरा हो गया है, तो नेतृत्व में बदलाव की चर्चा ने ज़ोर पकड़ लिया है. चुनाव प्रक्रिया की देखरेख के लिए एक केंद्रीय चुनाव समिति बनाए जाने की उम्मीद है, जो नामांकन दाखिल करने, जांच करने और ज़रूरत पड़ने पर मतदान कराने का काम करेगी.
फिलहाल यह साफ़ नहीं है कि नड्डा को दूसरा पूरा कार्यकाल मिलेगा या पार्टी किसी नए चेहरे को मौका देगी.
विपक्षी दलों की भी है नज़र
कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) सहित विपक्षी दल भी इस घटनाक्रम पर करीब से नज़र बनाए हुए हैं. बीजेपी का नया अध्यक्ष 2026 में होने वाले महत्वपूर्ण राज्यों के चुनावों और 2029 के अगले लोकसभा चुनावों के लिए चुनावी रणनीति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.