Jamshedpur : जमशेदपुर के करनडीह स्थित एलबीएसएम कॉलेज में सामाजिक संस्था ‘युवा’ द्वारा तीसरे जेंडर मेले का आयोजन किया गया। यह आयोजन उन युवाओं, किशोरों, विकलांगों और हाशिए पर मौजूद समुदायों के लिए किया गया, जिनके अधिकारों और पहचान की समाज में अब भी अनदेखी होती है। मेले का उद्देश्य था समाज में जेंडर आधारित भेदभाव और असमानता के मुद्दों को खुलकर सामने लाना और एक ऐसे माहौल को बढ़ावा देना, जहां हर व्यक्ति को समान अधिकार और सम्मान मिल सके।
इससे पहले यह मेला एग्रिको क्लब हाउस और पोटका में आयोजित किया जा चुका है। इस बार का थीम था “समानता का उत्सव मनाना और समानता सुनिश्चित करना”, जो हर प्रस्तुति, पैनल चर्चा और सांस्कृतिक कार्यक्रम में झलकता दिखा। कार्यक्रम की शुरुआत वरिष्ठ पत्रकार संजय मिश्र ने गुब्बारे उड़ाकर की। कॉलेज के छात्रों ने स्वागत गीत से माहौल को और जीवंत बना दिया।
कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों के विशिष्ट अतिथि मौजूद रहे, जिनमें कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अशोक कुमार झा, अंग्रेजी विभाग की एचओडी डॉ. मौसमी पाल, परसुडीह के थाना प्रभारी अविनाश कुमार और अधिवक्ता प्रीति मूर्मू शामिल थे। सभी ने अपने वक्तव्यों में जेंडर समानता की जरूरत और आज के सामाजिक परिप्रेक्ष्य में इसकी प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला।

‘युवा’ संस्था की सचिव वर्णाली चक्रवर्ती ने संस्था द्वारा जेंडर समानता, विकलांगता, बाल विवाह और ट्रांसजेंडर अधिकारों पर चलाए जा रहे अभियानों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि थानों में साइन लैंग्वेज इंटरप्रेटर की कमी आज भी विकलांगजनों के लिए एक बड़ी समस्या बनी हुई है, जो न्याय की प्रक्रिया में बाधा बनती है।
प्राचार्य डॉ. अशोक कुमार झा ने कहा कि कॉलेज में सभी छात्रों के साथ समान व्यवहार होता है, चाहे वे किसी भी जेंडर के हों। लेकिन सामाजिक माहौल को देखते हुए कॉलेज प्रशासन थर्ड जेंडर की पहचान को गोपनीय रखता है, ताकि उनकी पढ़ाई या मानसिक स्थिति पर कोई असर न पड़े। वहीं, डॉ. मौसमी पाल ने कहा कि स्कूल और कॉलेजों में जितनी ज्यादा बातचीत और जागरूकता होगी, समाज उतनी ही तेजी से जेंडर समानता की ओर बढ़ेगा।
मुख्य अतिथि संजय मिश्र ने भी समाज में हो रहे सकारात्मक बदलावों की बात की। उन्होंने कहा कि कुछ साल पहले तक शैक्षणिक संस्थानों में ऐसे आयोजनों की कल्पना भी मुश्किल थी, लेकिन अब स्त्री, पुरुष और ट्रांसजेंडर जैसे मुद्दों पर खुलकर बात हो रही है। उन्होंने यह भी कहा कि एलजीबीटीक्यूप्लस समुदाय के लिए एक सटीक हिंदी शब्द की कमी आज भी महसूस होती है।
अधिवक्ता प्रीति मूर्मू ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि अब भी समाज थर्ड जेंडर को इंसान की नजर से नहीं देखता। वहीं थाना प्रभारी अविनाश कुमार ने सभी को आश्वस्त किया कि उनके थाने में किसी के साथ भी जेंडर के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा।
मंच पर आयोजित पैनल डिस्कशन में सामाजिक कार्यकर्ता, ट्रांसजेंडर प्रतिनिधि, कॉलेज के प्रोफेसर और युवा छात्र-नेताओं ने भाग लिया। इन सभी ने अपने अनुभव और विचार साझा किए कि समाज में बदलाव कैसे लाया जा सकता है। पैनल चर्चा के साथ-साथ छात्रों द्वारा जेंडर विषय पर नाटक प्रस्तुत किया गया, जो दर्शकों के बीच चर्चा का विषय बना।
मेले में विभिन्न स्टॉल लगाए गए थे, जिनमें हस्तनिर्मित वस्तुएं, जनजातीय व्यंजन, टैटू आर्ट और कानूनी जागरूकता से जुड़े स्टॉल शामिल थे। खासतौर पर डालसा और वन स्टॉप सेंटर के स्टॉल ने आगंतुकों को जेंडर कानूनों के प्रति जानकारी दी।
छात्रों के बीच पोस्टर और स्लोगन प्रतियोगिताएं भी हुईं, जिनमें विजेताओं को सम्मानित किया गया। पोस्टर मेकिंग में राहुल सिंह, हीरा भूमिक, मोहन होनहागा आदि विजेता रहे, जबकि स्लोगन प्रतियोगिता में पुतुल हेंब्रम, सीमा भूमिज और अन्य छात्र-छात्राएं सम्मानित हुए।
यह कार्यक्रम ‘युवा’ संस्था और नई दिल्ली की संस्था ‘क्रिया’ के संयुक्त तत्वावधान में ‘वीमेन गेनिंग ग्राउंड’ परियोजना के तहत आयोजित किया गया। एलबीएसएम कॉलेज और कॉलेज के इंटरनल क्वालिटी एश्योरेंस सेल (IQAC) का भी इसमें विशेष योगदान रहा। मंच संचालन अंजना देवगम और अन्नी अमृता ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन प्राध्यापक चंदन जायसवाल ने किया।
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