Ranchi : झारखंड प्रदेश कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन के संकेत तेज हो गए हैं। पार्टी की अगुवाई अब आदिवासी चेहरे को सौंपे जाने की संभावना है, खासकर सरना आदिवासी तबके से। वर्तमान में कांग्रेस सरकार में मंत्री दलित, अल्पसंख्यक, ब्राह्मण और ईसाई (आदिवासी) कोटे से हैं, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष और विधायक दल के नेता ओबीसी समाज से हैं। इसलिए पार्टी केंद्र की मंथन के बाद किसी सरना आदिवासी को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की संभावना प्रबल है।
नेताओं की चल रही है आपस में तैयारी
कांग्रेस के कई नेता अपने-अपने दावे पेश कर रहे हैं। पार्टी के उपनेता और दो बार से विधायक राजेश कच्छप, जो सरना आदिवासी हैं, इस रेस में आगे हैं। वहीं, सांसद कालीचरण मुंडा भी इस पद के लिए दावेदारी पेश कर रहे हैं। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत और प्रदीप बलमुचू भी इस दौड़ में हैं, जो पार्टी के अनुभव और भरोसे का प्रतीक हैं।
बंधु तिर्की की दावेदारी मजबूत
बंधु तिर्की, जो आदिवासियों के बड़े नेता हैं, उनके नाम पर भी चर्चा है। वे वर्तमान में कार्यकारी अध्यक्ष हैं, इसलिए उनका दावा भी मजबूत माना जा रहा है। हालांकि, उनकी बेटी झारखंड सरकार में मंत्री हैं, इसलिए परिवार से दो महत्वपूर्ण पदों पर होने का मसला पार्टी के लिए विचारणीय है।
अगस्त तक हो सकता है बदलाव
प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश अभी संगठन को मजबूत करने में जुटे हैं। पार्टी प्रभारी के. राजू के साथ वे लगातार बैठक कर रहे हैं। अगस्त तक प्रदेश अध्यक्ष के पद में बदलाव हो सकता है, जिसके बाद कांग्रेस का झारखंड संगठन और अधिक सक्रिय होगा।
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