Ranchi : प्रदेश राजद महासचिव और मीडिया प्रभारी कैलाश यादव ने आज पत्रकारों से वार्ता के दौरान केंद्र सरकार के जातीय जनगणना कराने के फैसले को ऐतिहासिक और बहुसंख्यक ओबीसी समाज के लिए सुखद बताया। उन्होंने कहा कि यह फैसला लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करता है, जिसे समाजवादी विचारधारा वाली पार्टियों ने हमेशा उठाया है, खासकर राजद और सपा जैसी पार्टियों ने।
कैलाश यादव ने बताया कि जब से सपा नेता मुलायम सिंह यादव ने इस मुद्दे पर संघर्ष शुरू किया, तब से अब तक राजद अध्यक्ष लालू यादव और तेजस्वी यादव भी सामाजिक न्याय के लिए निरंतर संघर्षरत रहे हैं। उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना के लागू होने से देश में सामाजिक क्रांति आएगी।
यादव ने यह भी बताया कि 30 साल पहले राजद अध्यक्ष लालू यादव ने संसद में इस मुद्दे को उठाया था और ओबीसी वर्ग को एकजुट करने का संदेश दिया था। इसके बाद 1990 में बिहार में मुख्यमंत्री रहते हुए लालू यादव ने सामाजिक न्याय की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए थे, जिससे दबे-कुचले समाज के उत्थान के लिए आरक्षण की व्यवस्था को मजबूती मिली।
राजद महासचिव ने कहा कि जातीय जनगणना के बाद ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षण सीमा 50 प्रतिशत से भी अधिक हो सकती है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि आरक्षण दबे कुचले समाज का मौलिक अधिकार है, जिसे संविधान निर्माता बाबा साहब अंबेडकर ने सामाजिक और आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए सुनिश्चित किया था।
कैलाश यादव ने यह भी सुझाव दिया कि जातीय जनगणना के बाद पंचायती राज और संसदीय व्यवस्था में भी एसटी, एससी, ओबीसी के लिए सीटों का आरक्षण किया जाना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि अगले वर्ष राज्य परिसीमन के दौरान ओबीसी के लिए विधायक और सांसद की सीटें आरक्षित नहीं की जातीं, तो देशभर में जनांदोलन होगा।
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