Simdega: झारखंड की ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था एक बार फिर सवालों के घेरे में है। सिमडेगा जिले के पाकर डांड प्रखंड के केसलपुर पंचायत स्थित चुंदियारी गांव से सामने आए ताजा मामले ने सरकारी दावों की पोल खोल दी है। यहां एक घायल वृद्धा को समय पर एंबुलेंस सेवा न मिलने के कारण ग्रामीणों ने खाट पर लादकर अस्पताल पहुंचाया।
जानकारी के मुताबिक, चुंदियारी गांव की एक वृद्ध महिला सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गई। गांव वालों ने तत्काल पूर्व प्रत्याशी श्रद्धानंद बेसरा को इसकी सूचना दी। बेसरा ने सिमडेगा के सिविल सर्जन से बात कर एंबुलेंस की मांग की। प्रशासन ने एंबुलेंस भेजी भी, लेकिन रास्ते में हल्दिबेड़ा गांव के पास वह खराब हो गई।
एंबुलेंस सेवा के फेल हो जाने के बाद ग्रामीणों को बोलेरो गाड़ी किराये पर लेनी पड़ी। घंटों की मशक्कत के बाद घायल वृद्धा को अस्पताल पहुंचाया जा सका। इस दौरान गांववालों ने घायल महिला को खाट पर लिटाकर सड़क तक लाना पड़ा।
चौंकाने वाली बात यह है कि तीन महीने के भीतर यह दूसरी ऐसी घटना है जब किसी गंभीर मरीज को खाट या अन्य साधन से अस्पताल ले जाना पड़ा। इससे पहले भी ऐसी घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग ने सुधार के दावे किए थे, लेकिन हालात जस के तस हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि बार-बार शिकायतों के बावजूद एंबुलेंस सेवा की स्थिति नहीं सुधर रही। कई इलाकों में या तो एंबुलेंस नहीं हैं, या जो हैं वे अक्सर खराब रहती हैं।
इस घटना ने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी के बयानों पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। मंत्री लगातार स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार का दावा करते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी कहती है।
ग्रामीण इलाकों में प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव अब आम बात हो गई है। सिमडेगा का यह मामला राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था पर एक और करारा तमाचा है, जिसमें मरीजों की जान तक जोखिम में पड़ जाती है। प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की बेरुखी के चलते आम लोग बुनियादी सुविधाओं के लिए भी संघर्ष करने को मजबूर हैं।
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