Patna : बिहार विधानसभा चुनाव से पहले CM नीतीश ने एक बड़ा फैसला लेते हुए आशा और ममता कार्यकर्ताओं की प्रोत्साहन राशि को दोगुना करने का ऐलान किया है। इस घोषणा के बाद सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है। जहां एक ओर सरकार इसे सामाजिक कार्यकर्ताओं के हित में बड़ा कदम बता रही है, वहीं विपक्षी नेता तेजस्वी यादव ने इस फैसले पर तीखा हमला बोला है।
तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक एआई वीडियो शेयर करते हुए नीतीश सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने लिखा, “मैंने अपने 17 महीने के स्वास्थ्य मंत्री के कार्यकाल में आशा और ममता कार्यकर्ताओं की प्रोत्साहन राशि बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू की थी, जो अंतिम चरण में थी। लेकिन सरकार और CM ने आदतन पलटी मार दी। यह निकम्मी एनडीए सरकार दो साल से इस मुद्दे पर चुप्पी साधे रही, लेकिन अब हमारी मांग के सामने उन्हें झुकना पड़ा।”
मैंने 17 महीने स्वास्थ्य मंत्री रहते आशा एवं ममता कार्यकर्ताओं की प्रोत्साहन राशि बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू दी थी जो अंतिम स्टेज में थी लेकिन तब तक सरकार और मुख्यमंत्री आदतन पलटी मार गए। ये निकम्मी एनडीए सरकार उस पर भी दो साल से कुंडली मार कर बैठी रही। अब आखिरकार इन्हें आशा एवं… pic.twitter.com/32vtv37mMD
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) July 30, 2025
तेजस्वी ने सरकार पर चालाकी का आरोप लगाते हुए कहा कि प्रोत्साहन राशि बढ़ाने की उनकी मांग को पूरी तरह लागू नहीं किया गया। उन्होंने कहा, “आशा और ममता कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहन राशि नहीं, बल्कि मानदेय मिलना चाहिए। हम सत्ता में आए तो इन्हें मानदेय देंगे।” इसके साथ ही उन्होंने आंगनवाड़ी सेविका/सहायिका और रसोइयों के मानदेय में बढ़ोतरी की मांग भी उठाई।
तेजस्वी ने अपने कार्यकाल का जिक्र करते हुए कहा कि 17 महीने की छोटी अवधि में ही उनकी सरकार ने विकास मित्र, शिक्षा मित्र/टोला सेवक, तालीमी मरकज़ और पंचायती राज जनप्रतिनिधियों का मानदेय बढ़ाया था। उन्होंने नीतीश सरकार को “नकलची, थकी-हारी और विजन रहित” करार देते हुए तंज कसा, “20 साल तक क्या मूंगफली छील रहे थे? जो हमारी घोषणाओं का मजाक उड़ाते थे, वही अब सत्ता जाते देख दौड़ रहे हैं। सिर्फ तेजस्वी की नकल करोगे या अपनी अक्ल भी लगाओगे?”
सियासी सरगर्मी तेज :
नीतीश कुमार की इस घोषणा को चुनावी रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। आशा और ममता कार्यकर्ता बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ मानी जाती हैं और उनकी संख्या लाखों में है। ऐसे में यह फैसला ग्रामीण क्षेत्रों में मतदाताओं को लुभाने की कोशिश माना जा रहा है। दूसरी ओर, तेजस्वी यादव की आक्रामक प्रतिक्रिया से साफ है कि विपक्ष इस मुद्दे को चुनावी मैदान में भुनाने की पूरी कोशिश करेगा।
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