Jamshedpur: झारखंड में नई शिक्षा नीति 2020 (एनईपी 2020) के समय से पहले क्रियान्वयन से उपजे शैक्षणिक संकट को लेकर झारखंड छात्र मोर्चा ने जिला DC के माध्यम से राज्य के शिक्षा मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। इसमें विशेष तौर पर सत्र 2024-26 के छात्रों के हित में तुरंत हस्तक्षेप की मांग की गई है।
ज्ञापन में छात्र मोर्चा ने बताया कि झारखंड के राज्यपाल सचिवालय, रांची द्वारा 30 मई 2025 को जारी आदेश (पत्रांक 1495) के तहत राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के अंगीभूत (अफिलिएटेड) महाविद्यालयों में इंटरमीडिएट (कक्षा 11वीं-12वीं) की पढ़ाई बंद करने के निर्देश दिए गए थे। इस फैसले का सीधा असर उन विद्यार्थियों पर पड़ा है जिन्होंने हाल ही में 11वीं की परीक्षा पास की है और अब 12वीं में उसी कॉलेज में पढ़ाई जारी नहीं रख पा रहे।
छात्र संगठन ने अपनी चिंता जताते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 के मुताबिक इंटरमीडिएट शिक्षा को स्कूल स्तर पर ही केंद्रित करना है और इसे पूरे देश में 2026 तक लागू करने का लक्ष्य रखा गया है। लेकिन झारखंड में इसे एक साल पहले ही लागू कर दिया गया, जिससे सत्र 2024-26 के छात्र-छात्राएं असमंजस और अनिश्चितता के शिकार हो गए हैं।
छात्र मोर्चा ने अपने ज्ञापन में यह भी कहा कि मौजूदा सत्र के बीच में इस तरह का बड़ा बदलाव उचित नहीं है। उनका तर्क है कि यदि सरकार यह नई व्यवस्था 2025-27 सत्र से लागू करती तो अधिक उचित और न्यायसंगत होता। बीच सत्र में अचानक व्यवस्था बदलने से विद्यार्थियों की पढ़ाई में व्यवधान पैदा हो रहा है और उनका भविष्य अधर में लटक गया है।
छात्र संगठन ने शिक्षा मंत्री से मांग की है कि वे विश्वविद्यालयों को यह स्पष्ट निर्देश दें कि सत्र 2024-26 के छात्र-छात्राएं अपनी 12वीं की पढ़ाई उसी अंगीभूत महाविद्यालय में पूरी कर सकें जहां से उन्होंने 11वीं कक्षा उत्तीर्ण की है। इससे छात्रों को कोई असुविधा नहीं होगी और वे अपनी पढ़ाई सुचारू रूप से पूरी कर सकेंगे।
झारखंड छात्र मोर्चा ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि इस मुद्दे पर जल्द कोई सकारात्मक निर्णय नहीं लिया गया तो राज्यभर में व्यापक छात्र आंदोलन की स्थिति पैदा हो सकती है। संगठन ने कहा कि सरकार को छात्रों के हित में तुरंत ठोस कदम उठाना चाहिए ताकि हजारों विद्यार्थियों का भविष्य सुरक्षित रह सके।