Johar Live Desk : शारदीय नवरात्र का शुभारंभ सोमवार से हो गया है। यह नौ दिनों का पवित्र पर्व मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित है। प्रत्येक दिन माता के एक विशेष रूप की पूजा के साथ उनका प्रिय भोग अर्पित करने की परंपरा है, जिससे भक्तों को आशीर्वाद और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
सात्विक भोजन का रखें ध्यान
काशी के प्रसिद्ध पुजारी ने बताया कि नवरात्र में पूजा के साथ-साथ खान-पान पर विशेष ध्यान देना जरूरी है। भोजन पूरी तरह सात्विक होना चाहिए। प्याज, लहसुन, मांसाहार और शराब का सेवन सख्त वर्जित है। भक्तों को उपवास के बाद रात में भोजन तभी करना चाहिए, जब माता को उनका प्रिय भोग अर्पित कर लिया जाए।
मां दुर्गा के नौ स्वरूप और उनके प्रिय भोग :
- मां शैलपुत्री : बादाम का हलवा, घी से बनी मिठाइयां
- मां ब्रह्मचारिणी : मिश्री, शक्कर
- मां चंद्रघंटा : खीर
- मां कुष्मांडा : मालपुए
- मां स्कंदमाता : केले
- मां कात्यायनी : शहद या शहद से बने व्यंजन
- मां कालरात्रि : गुड़ और गुड़ से बनी चीजें
- मां महागौरी : नारियल और नारियल से बने पकवान
- मां सिद्धिदात्री : चना, हलवा-पूरी
इन फलों को भूलकर भी न चढ़ाएं
पंडित के अनुसार, माता को भोग अर्पित करते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। नींबू, इमली, सूखा नारियल, नाशपाती और अंजीर को भोग में नहीं चढ़ाना चाहिए, क्योंकि इन्हें शुभ नहीं माना जाता। साथ ही, जूठे या खराब फल भी माता को अर्पित करना वर्जित है।
माता को अर्पित करें ये शुभ फल
नवरात्र के नौ दिनों में अनार, बेल, आम, शरीफा, सिंघाड़ा और जटा वाला नारियल जैसे फल माता को चढ़ाना शुभ माना जाता है। ये फल पूजा को पूर्ण करते हैं और भक्तों को मानसिक शांति व आध्यात्मिक लाभ देते हैं।
Disclaimer : इस लेख में दी गई जानकारी, सुझाव और सलाह केवल सामान्य सूचना के उद्देश्य से प्रदान की गई है।
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