Johar Live Desk : लद्दाख के प्रसिद्ध जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को जेल से रिहा करने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई की। उनकी पत्नी गीतांजलि आंगमो की याचिका पर जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने केंद्र सरकार, लद्दाख प्रशासन और जोधपुर जेल अधीक्षक को नोटिस जारी किया। अदालत ने केंद्र और लद्दाख से पूछा कि वांगचुक को आखिर क्यों रिहा नहीं किया जाना चाहिए।
गिरफ्तारी का आधार नहीं बताया गया : कपिल सिब्बल
याचिका का पक्ष सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने रखा। उन्होंने अदालत को बताया कि सोनम वांगचुक को किस आधार पर गिरफ्तार किया गया, इसकी जानकारी तक नहीं दी गई। वांगचुक पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) लगाया गया है और वह 26 सितंबर से जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं। उन पर हिंसा भड़काने वाले बयान देने का आरोप है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जवाब दिया कि हिरासत में लिए गए व्यक्ति को गिरफ्तारी के कारणों की जानकारी दी गई है। उन्होंने कहा कि अदालत के आदेश पर विस्तृत जानकारी वाली कॉपी उनकी पत्नी को भी उपलब्ध कराई जाएगी।

पत्नी की मांग : टेलीफोन और मुलाकात की इजाजत दें
गीतांजलि आंगमो ने अदालत में कहा कि उनके पति को अवैध तरीके से गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने मांग की कि सोनम वांगचुक को टेलीफोन पर बात करने की अनुमति मिले और उनसे मुलाकात कराई जाए। इसके अलावा जेल में दवा, सही खाना और कपड़ों की उचित व्यवस्था सुनिश्चित करने की भी अपील की।
गांधीवादी प्रदर्शन, फिर गिरफ्तारी क्यों?
गीतांजलि ने कहा कि सोनम वांगचुक गांधीवादी तरीके से शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे। यह संवैधानिक अधिकार है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19) का हनन है। उन्होंने दावा किया कि गिरफ्तारी का कोई राष्ट्रीय सुरक्षा या कानून-व्यवस्था से संबंध नहीं, बल्कि यह एक्टिविस्ट को चुप कराने की साजिश है।
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