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    Home»झारखंड»प्रशासन और माफिया के गठजोड़ से परवान चढ़ रही बालू की तस्करी
    झारखंड

    प्रशासन और माफिया के गठजोड़ से परवान चढ़ रही बालू की तस्करी

    Team JoharBy Team JoharOctober 21, 2021No Comments3 Mins Read
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    खूंटी । बढ़ती आबादी के साथ-साथ आवास अस्पताल, पुल-पुलियों और अन्य निर्माण कार्यों में तेजी के कारण हर क्षेत्र में बालू की मांग बढ़ती जा रही है। मांग अधिक होने के कारण खूंटी जिले में नदियों से बालू के अवैध उत्खनन और परिवहन में भी इजाफा होता जा रहा है। बालू के अवैध धंधे से होनेवाली भारी कमाई के कारण हर दिन कारोबार में रोज नये लोग जुड़ते जा रहे हैं और बालू की ढुलाई के लिए सड़कों पर हाईवा, ट्रक आदि वाहनों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है।

    बालू की जरूरतों को पूरा करने के लिए सरकार द्वारा बालू घाटों की नीलामी की जाती है। इसमें पर्यावरण का खास ध्यान रखा जाता है, पर वास्तविकता है कि वैध की अपेक्षा कई गुणा बालू की अवैध निकासी और ढुलाई की जाती है। रेत की इस तस्करी में बालू माफिया को प्रशासन का पूरा संरक्षण प्राप्त है। जानकार बताते हैं कि रात की बात कौन कहे, दिन के उजाले में भी थाना के सामने से हर दिन दर्जनों बालू लदे हाईवा गुजरते हैं, पर कभी किसी पर कार्रवाई नहीं होती। सूत्रों पर भरोसा करें, तो बालू की तस्करी से होने वाली कमाई में सबका हिस्सा होता है। जब कोई माफिया समय पर चढ़ावा नहीं चढ़ाता, तो उसके बालू लदे वाहन को जब्त कर लिया जाता है। हां, जिला स्तर पर कोई नया अधिकारी आता है, तो बालू तस्करों के खिलाफ एक-दो दिन कार्रवाई होती है, पर कुछ दिनों के बाद स्थिति फिर वही हो जाती है। तोरपा और रनिया प्रखंड में कारो, छाता, चेंगरझोर सहित कई नदियों से हर दिन सैकड़ों मिट्रिक टन बालू का उत्खनन किया जाता है। वहीं खूंटी, अड़की, मुरहू और कर्रा प्रखंड में भी बालू तस्करी का धंधा हर दिन परवान चढ़ रहा है।

    प्राकृति को कैंसर की तरह तबाह कर रहा है अंधाधुंध उत्खनन

    छोटी-बड़ी सभी नदियों से बालू के अंधाधुंध उत्खनन प्राकृतिक परिवेश को कैंसर की तरह तबाह कर रहा है। खनन बढ़ने से प्राकृतिक सौंदर्य तो नष्ट हो ही रहा है, पर्यावरण संतुलन पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। कई नदियों के अस्तित्व पर ही खतरा मंडराने लगा है। खुले वाहनों से बालू की ढुलाई भी पर्यावरण के लिए घातक सिद्ध हो रहा है। खुले ट्रकों से बालू की ढुलाई होने से रेत उड़कर हवा को प्रदूषित कर देती है। जानकार बताते हैं कि यही रेत सांस के साथ हमारे फेफड़ों तक पहुंचती है और कई तरह की बीमरियों को जन्म देती है।

    राजस्व का भारी नुकसान

    खूंटी जिले में बालू के अवैध करोबार के कारण सरकार को हर दिन लाखों रुपये के राजस्व का घाटा हो रहा है। इसे धंधे से जुड़े लोग बताते हैं कि वे सिमडेगा सहित अन्य जिलों से बालू की परमिट प्राप्त करते हैं और उसी के आधार पर खूंटी जिले में बालू की तस्करी की जाती है। बालू तस्करों द्वारा जंगलों और सुदूर ग्रामीण इलाके में नदियों से निकाल कर बालू को जमा करते हैं और वहीं से इसकी तस्करी होती है। अब भी कुल्डा जंगल, ऐरमेरे सहित अन्य जंगलों में लाखों टन बालू जमा है, पर इसे देखने वाला के कोई नहीं है। बालू के भारी और लगातार परिवहन के कारण सड़कें पूरी तरह टूट गयी हैं। इसका खमियाजा उस क्षेत्र के लोगों को भुगतना पड़ रहा है।

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