Ranchi : राजधानी के घटते शहरी हरित आवरण को बचाने के लिए आरकेडीएफ विश्वविद्यालय ने सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) के सहयोग से एक अनोखी पहल शुरू की है। इसे ‘ट्री एम्बुलेंस’ नाम दिया गया है।
पिछले पांच वर्षों में इस मोबाइल यूनिट ने रांची और आसपास के इलाकों में 3000 से अधिक बीमार पेड़ों का सफल इलाज किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि तेजी से हो रहे शहरीकरण के कारण पेड़ कमजोर और संक्रमित हो रहे हैं, ऐसे में यह पहल पर्यावरण संरक्षण का एक मजबूत मॉडल बनकर उभरी है।
ट्री एम्बुलेंस कैसे काम करती है
ट्री एम्बुलेंस एक मोबाइल क्लिनिक की तरह काम करती है। इसमें मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ाने वाले उपकरण, जैविक कीटनाशक, विशेष उर्वरक और बीमारी पहचानने वाली तकनीक मौजूद रहती है। सूचना मिलते ही 2–3 विशेषज्ञों की टीम मौके पर पहुंचकर पेड़ों की जांच करती है और उसी समय इलाज शुरू कर देती है।
पेड़ों का इलाज तीन चरणों में किया जाता है
बीमारी की जांच और उपचार – संक्रमित पेड़ों में जैविक कीटनाशक और उर्वरक का इंजेक्शन दिया जाता है।
मिट्टी की गुणवत्ता सुधारना – कमजोर पेड़ों की मिट्टी का परीक्षण कर उसे उपचार दिया जाता है।
मरम्मत और छंटाई – संक्रमित या मृत शाखाओं को काटकर पेड़ को स्वस्थ किया जाता है।
परियोजना का विस्तार
आरकेडीएफ विवि इसे अब रांची के बाहर भी फैलाने की तैयारी कर रही है। भविष्य में इलाज किए जाने वाले पेड़ों की संख्या बढ़ाई जाएगी और स्थानीय लोगों को प्रशिक्षण देकर सामुदायिक भागीदारी भी मजबूत की जाएगी। इसके साथ ही बड़े क्षेत्रों में पेड़ों की निगरानी के लिए ड्रोन और डेटा एनालिटिक्स जैसी आधुनिक तकनीक का भी इस्तेमाल किया जाएगा।


