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    Home»झारखंड»रांची : दो दिवसीय जनजातीय महोत्सव का रंगारंग आगाज, मुख्यमंत्री और गुरुजी शिबू सोरेन ने दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारंभ किया
    झारखंड

    रांची : दो दिवसीय जनजातीय महोत्सव का रंगारंग आगाज, मुख्यमंत्री और गुरुजी शिबू सोरेन ने दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारंभ किया

    Team JoharBy Team JoharAugust 9, 2022Updated:August 9, 2022No Comments4 Mins Read
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    रांचीः झारखंड जनजातीय महोत्सव का शुभारंभ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और गुरुजी शिबू सोरेन ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया. ऐतिहासिक मोरहाबादी मैदान में आयोजित इस दो दिवसीय महोत्सव के शुभारंभ कार्यक्रम में राज्यसभा सांसद महुआ माजी, मंत्री चंपई सोरेन, मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, सीएम के सचिव विनय कुमार चौबे सहित कई गणमान्य शामिल हुए.

    महोत्सव के शुभारंभ मौके पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने पिता गुरुजी शिबू सोरेन के साथ जनजातीय संस्कृति से संबंधित लगे प्रदर्शनी का जायजा लिया. इस अवसर पर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के संदेश को अनुसूचित जाति-जनजाति विभाग के सचिव के के सोन ने पढते हुए आगंतुकों का स्वागत किया. दो दिवसीय इस महोत्सव में देश विदेश के कलाकार और विद्वान शिरकत कर रहे हैं जो ट्रायबल हिस्ट्री पर विचार रखेंगे.

    जनजातीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए हेमंत सोरेन ने कहा यह मेरी सच्चाई है कि मैं आदिवासी हूं. यही मेरी पहचान है और यही मेरा वजूद. आज यह बात अपने समाज की पंचायत के सामने रख रहा हूं. झारखंड ऐसा राज्य है जहां सबसे ज्यादा जनजातीय लोग रहते हैं और आजादी की लड़ाई में समाज का बहुत योगदान रहा है. झारखंड बंटवारे के बाद पहली बार ऐसा हुआ है जब आदिवासी सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है, मैं पूरे देश से आए सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं.

    झारखंड में हर साल जनजातीय सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा. आदिवासियों की पहचान के लिए बड़ा संकट खड़ा हुआ है. जिस विविधता के कारण हमें आदिवासी समाज का माना गया है. उसे आज के नीति निर्माता मानने से गुरेज कर रहे हैं. हमारे संवैधानिक मान्यता सिर्फ चर्चा का विषय है. जमीन, संस्कृति और भाषा हम आदिवासियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. आज की मूल भावना के लिए आदिवासी समाज ही सबसे घृणित है और वह हमें ही कहा जाता है जो विविधता से भरे समूह हैं.

    उनके लिए हम यही माने जाते हैं जहां वन बचाओ जंगल बचाओ की बात होती है लेकिन आदिवासी बचाव की बात कोई नहीं करता.आदिवासी को बचा लो जंगल भी बच जाएगा, जमीन भी बच जाएगी. जानवर भी बस जाएंगे. खनिज संपदा हमारे पास है लेकिन ना तो हमारे पास फैक्ट्री है और ना ही आरा मशीन है. यह सिर्फ और सिर्फ बड़े उद्योगपतियों के पास होता है, कुछ लोगों को आदिवासी नाम से ही चिढ़ होती है.

    वह हमें आदिवासी नहीं वनवासी के नाम से पुकारना चाहते हैं. आज यह जरूरी है कि आदिवासियों के प्रति सम्मान का भाव पैदा हो. आदिवासियों के लिए काम करने की जरूरत है. आदिवासी समाज मेहनत करके खाने वाला स्वाभिमानी समाज है. हम भगवान बिरसा मुंडा और एकलव्य की संतान है. इस समाज को कोई डरा या झुका नहीं सकता. हम वैसे लोग हैं जो गुरु की तस्वीर से ज्ञान सीख लेते हैं, हम पीछे से नहीं सामने से वार करते हैं और होने वाले वार को झेल भी लेते हैं.

    आदिवासी समाज बिखरा हुआ है. हमारा खून एक है, हमारा समाज एक है तो सब लोगों को एकजुट होना चाहिए. आज हमारे पास जो भी है वह हमारे शहीदों की देन है. जिन महापुरुषों ने आदिवासी अस्मिता के लिए अपनी जान दे वही हमारी पूंजी और वही हमारी धरोहर हैं. हेमंत सोरेन ने कहा कि आदिवासी, गैर आदिवासी और समाज के सभी लोग जय जोहार बोलकर लोगों का अभिनंदन करें.

    मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड के बच्चों के लिए गुरु क्रेडिट कार्ड योजना लागू किया जाएगा ताकि युवाओं को पढ़ने लिखने में किसी तरह की दिक्कत ना हो. राज्य में बैंकों की स्थिति यह है कि अगर हेमंत सोरेन बैंकों से लोन लेने जाए तो उन्हें भी लोन नहीं दिया जाएगा और कह दिया जाएगा आपकी जमीन सीएनटी एसपीटी एक्ट में आती है. गाड़ी चलाने वाला गाड़ी का मालिक बन सकता है. सरकार इस तरह की व्यवस्था करने जा रही है कि जो जिस विषय के हुनरमंद हैं, सरकार उन्हें हर सहयोग देगी ताकि वह अपने से हुनरमंद होकर लोगों को भी रोजगार देने का काम करे. अपने समाज के लोगों को आगे बढ़ाए.

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