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    Home»धर्म/ज्योतिष»रक्षाबंधन का त्योहार 9 अगस्त को… जानिए इससे जुड़ी पौराणिक और ऐतिहासिक कथाएं
    धर्म/ज्योतिष

    रक्षाबंधन का त्योहार 9 अगस्त को… जानिए इससे जुड़ी पौराणिक और ऐतिहासिक कथाएं

    Kajal KumariBy Kajal KumariAugust 8, 2025No Comments3 Mins Read
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    रक्षाबंधन
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    Johar Live Desk : रक्षाबंधन, भाई-बहन के अटूट प्रेम और विश्वास का पवित्र त्योहार, इस साल कल यानी 9 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाएगा। यह पर्व न केवल भाई-बहनों के बीच रिश्तों को मजबूत करता है, बल्कि इसके पीछे कई पौराणिक और ऐतिहासिक कथाएं भी जुड़ी हैं, जो इस त्योहार के महत्व को और गहरा करती हैं। आइए, जानते हैं रक्षाबंधन से जुड़ी प्रमुख कथाओं और इसके महत्व के बारे में।

    रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है?

    रक्षाबंधन का त्योहार रक्षा के सूत्र और भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर उनकी लंबी उम्र और सुरक्षा की कामना करती हैं, जबकि भाई अपनी बहनों की रक्षा का वचन देते हैं। इस पर्व से जुड़ी कई पौराणिक और ऐतिहासिक कथाएं इसकी महत्ता को दर्शाती हैं।

    द्रौपदी और श्रीकृष्ण की कथा

    पौराणिक कथाओं में सबसे प्रचलित है भगवान श्रीकृष्ण और द्रौपदी की कहानी। एक बार जब श्रीकृष्ण की उंगली से खून बह रहा था, तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी का टुकड़ा फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दिया, जिससे खून बहना रुक गया। इस प्रेम और विश्वास के बदले श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को उनकी रक्षा का वचन दिया। बाद में, जब कौरवों ने द्रौपदी का चीरहरण करने की कोशिश की, तब श्रीकृष्ण ने उनकी लाज बचाई। यह कथा रक्षासूत्र के महत्व को उजागर करती है।

    इंद्र और इंद्राणी की कहानी

    भविष्य पुराण के अनुसार, देवासुर संग्राम में जब इंद्र असुरों से हार रहे थे, तब उनकी पत्नी इंद्राणी ने एक रक्षा सूत्र तैयार कर इंद्र की कलाई पर बांधा। इस सूत्र के प्रभाव से इंद्र ने युद्ध में विजय प्राप्त की। माना जाता है कि यहीं से रक्षासूत्र बांधने की परंपरा शुरू हुई, जो कालांतर में भाई-बहनों के त्योहार के रूप में स्थापित हो गई।

    राजा बलि और माता लक्ष्मी की कथा

    विष्णु पुराण के अनुसार, भगवान विष्णु ने अपने वामन अवतार में राजा बलि से तीन पग भूमि मांगी और उनका सारा राज्य ले लिया। इसके बाद बलि ने विष्णु को अपने साथ रहने का अनुरोध किया। तब माता लक्ष्मी ने बलि को राखी बांधकर उन्हें अपना भाई बनाया और भगवान विष्णु को वापस वैकुंठ ले गईं। यह कथा राखी के भाई-बहन के बंधन को दर्शाती है।

    रानी कर्णावती और हुमायूं का ऐतिहासिक प्रसंग

    रक्षाबंधन का ऐतिहासिक महत्व भी कम नहीं है। मेवाड़ की रानी कर्णावती ने अपने राज्य पर हो रहे आक्रमण से बचने के लिए मुगल सम्राट हुमायूं को राखी भेजी थी। हुमायूं ने इसे स्वीकार कर रानी की रक्षा का वचन दिया, लेकिन समय पर न पहुंच पाने के कारण रानी को जौहर करना पड़ा। फिर भी, हुमायूं ने बाद में बहादुर शाह को हराकर विक्रमादित्य को मेवाड़ की गद्दी पर बैठाया। यह कहानी राखी के रक्षा के प्रतीक को और मजबूत करती है।

    रक्षाबंधन का महत्व

    रक्षाबंधन का यह पर्व भाई-बहन के प्रेम और विश्वास का प्रतीक है। यह हमें सिखाता है कि रिश्तों में विश्वास और एक-दूसरे की रक्षा की भावना कितनी महत्वपूर्ण है। इस 9 अगस्त को राखी का यह पवित्र त्योहार पूरे देश में उत्साह के साथ मनाया जाएगा, जिसमें बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधेंगी और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करेंगी।

    Also Read : पलामू के सदर थाना प्रभारी संतोष कुमार गुप्ता सस्पेंड, केस मैनेज करने के आरोप में हुई कार्रवाई

    Raksha Bandhan festival is on 9th August... Know the mythological and historical stories related to it रक्षाबंधन का त्योहार 9 अगस्त को... जानिए इससे जुड़ी पौराणिक और ऐतिहासिक कथाएं
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