Ranchi : झारखंड राज्य में नियम कानून को ताख पर रखते हुए पुलिस विभाग में ट्रांसफर-पोस्टिंग का खेल बड़े पैमाने पर चल रहा है। कई ऐसे मामले सामने आए है, जिसमें सिंगल-सिंगल लोगों का नोटिफिकेशन निकल रहा और उनके मनमुताबिक जिला में पोस्टिंग कराया जा रहा है। इन सब खेल के पीछे पुलिस मुख्यालय में पदस्थापित एनजीओ शाखा के एक व्यक्ति का हांथ है। यह कहना है झारखंड पुलिस एसोसिशन के प्रदेश संयुक्त सचिव राकेश कुमार पांडेय का। उन्होंने प्रेसविज्ञप्ति जारी कर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की। ताकि, दूध का दूध, पानी का पानी हो सकें।
क्या लगाया है आरोप
राकेश कुमार पांडेय का कहना है कि पुलिस पदाधिकारी को वेलफेयर का लाभ नहीं मिल पा रहा है। झारखंड पुलिस मुख्यालय में वेलफेयर के नाम पर पूरी तरह से शिथिलता बरता जा रहा है। 600 पुलिसकर्मियों के आवेदन शिकायत कोषाग में लंबित है। ट्रांसफर पोस्टिंग होने की दूर-दूर तक संभावना नहीं दिख रही है। कुछ सक्रिय सदस्य जो डीजीपी महोदय के करीबी हैं उनके द्वारा बीच-बीच में कहीं से भी आवेदन लेकर ट्रांसफर पोस्टिंग का आदेश निर्गत कराया जा रहा है। सुनने में आया है की एनजीओ में बैठे भगवान मोदक से खुश होकर नियम विरुद्ध आदेश निकलवाने हेतु कई आईपीएस स्तर के पदाधिकारी पर भी बना देते हैं। दबाव अनुशासन के नाम पर सभी नियम असहाय पुलिस पदाधिकारी पर लागू है। समर्थ के ना दोस गोसाई यह कहावत पूरी तरह चरितार्थ है झारखंड पुलिस मुख्यालय में।
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