Johar Live Desk: SC ने स्पष्ट किया है कि राजनीतिक दलों पर महिलाओं के कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न अधिनियम, 2013 (POSH एक्ट) लागू नहीं होता। कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक दल और उनके सदस्य के बीच नियोक्ता-कर्मचारी का संबंध नहीं होता, जो इस कानून के लागू होने की मुख्य शर्त है।
यह मामला केरल हाईकोर्ट के फैसले से जुड़ा था, जिसमें कहा गया था कि राजनीतिक दल POSH एक्ट के तहत आंतरिक शिकायत समिति बनाने के लिए बाध्य नहीं हैं। SC ने हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि राजनीतिक दल और उनके सदस्य के बीच रोजगार संबंध नहीं होता, इसलिए यह अधिनियम उन पर लागू नहीं किया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि POSH एक्ट का उद्देश्य महिलाओं को नौकरी वाले कार्यस्थलों पर सुरक्षा प्रदान करना है, जबकि राजनीतिक दल सदस्यता आधारित संगठन हैं और इनमें रोजगार और वेतन का संबंध नहीं होता। कोर्ट ने यह भी कहा कि अधिनियम को राजनीतिक दलों पर लागू करने से इसका दुरुपयोग और ब्लैकमेल जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।
इस फैसले के बाद राजनीतिक दल अब आंतरिक शिकायत समिति बनाने के लिए बाध्य नहीं होंगे। दल की गतिविधियों में उत्पीड़न झेलने वाली महिलाएं POSH एक्ट का सहारा नहीं ले पाएंगी, लेकिन भारतीय दंड संहिता और अन्य आपराधिक कानूनों के तहत शिकायत दर्ज कर सकती हैं।