Patna : बिहार में संभावित बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए नीतीश सरकार ने व्यापक तैयारियाँ की हैं। जल संसाधन विभाग ने इस बार एक अनूठी पहल करते हुए ‘तटबंध एम्बुलेंस’ की शुरुआत की है, जिससे बाढ़ के दौरान तटबंधों पर निगरानी और मरम्मत का कार्य तेजी से किया जा सकेगा। इस पहल के तहत खतरनाक और अतिसंवेदनशील तटबंधों पर ट्रैक्टर-आधारित एम्बुलेंस तैनात की गई हैं। प्रत्येक एम्बुलेंस में पोर्टेबल जेनरेटर, हैलोजन लाइट, ईसी बैग, नायलन क्रेट, खाली जियो बैग और फिल्टर सामग्री मौजूद रहेगी, साथ ही कम से कम 10 प्रशिक्षित मजदूर भी इसमें शामिल होंगे। राज्य के 3,808 किलोमीटर लंबे तटबंधों की निगरानी के लिए प्रति किलोमीटर एक श्रमिक तैनात किया गया है।
अनुभवी अभियंताओं की नियुक्ति
बाढ़ सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सरकार ने 11 अनुभवी और सेवानिवृत्त अभियंताओं की अध्यक्षता में बाढ़ सुरक्षा बल का गठन किया है। साथ ही तटबंधों के पास अस्थायी आवास, शौचालय और पेयजल की भी व्यवस्था की गई है ताकि आपात स्थिति में तत्काल राहत दी जा सके।
394 अतिसंवेदनशील स्थलों पर कटाव रोकने के कार्य पूरे
जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने जानकारी दी कि बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में सतत निगरानी ही एकमात्र समाधान है। गंगा, कोसी, गंडक, बागमती, बूढ़ी गंडक, कमला बलान और महानंदा नदियों के 394 अतिसंवेदनशील स्थलों पर 1310.09 करोड़ रुपये की लागत से कटाव निरोधक कार्य पूरे कर लिए गए हैं।
बाढ़ पूर्वानुमान प्रणाली और नेपाल के साथ समन्वय
बिहार सरकार ने बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए पटना में बाढ़ प्रबंधन सुधार सहायक केंद्र की स्थापना की है, जो गंगा नदी के बक्सर से कहलगांव तक और अन्य नदियों के कुल 42 स्थलों पर 72 घंटे पहले बाढ़ का पूर्वानुमान जारी कर रहा है। नेपाल के जल और मौसम विभाग के साथ समन्वय को मजबूत किया गया है। कोशी बराज और तटबंधों पर मरम्मत कार्य पूरे कर लिए गए हैं और नेपाल से समय पर वर्षा व पूर्वानुमान संबंधी जानकारी मिल रही है। विभाग का काठमांडू स्थित संपर्क कार्यालय दोनों देशों के बीच महत्वपूर्ण समन्वय की भूमिका निभा रहा है।
24×7 नियंत्रण कक्ष और टोल-फ्री हेल्पलाइन सक्रिय
बाढ़ नियंत्रण के लिए 1 जून से 31 अक्टूबर तक राज्य भर में केंद्रीय और क्षेत्रीय बाढ़ नियंत्रण कक्ष बनाए गए हैं, जो 24 घंटे सक्रिय रहते हैं। सहायता के लिए टोल-फ्री नंबर 1800-345-6145 समेत कई अन्य नंबरों के माध्यम से आम जनता सहायता प्राप्त कर सकती है।
कोशी का पानी बनी थी चुनौती, सरकार की तैयारी कारगर साबित हो सकती है
बता दें कि बिहार की भौगोलिक स्थिति और नेपाल से आने वाली नदियों के कारण बाढ़ एक बारहमासी चुनौती रही है। वर्ष 2024 में कोशी बराज से 6.61 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के कारण कई जिले बुरी तरह प्रभावित हुए थे। इस बार आपदा प्रबंधन विभाग और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) के सहयोग से राहत कार्यों को अधिक सक्रिय और प्रभावी बनाया गया है।
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