Ranchi : झारखंड में बालू खनन पर प्रतिबंद हर साल मौनसून महिने में लगाई जाती है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के आदेश के तहत इस बार 10 जून से 15 अक्टूबर तक बालू खनन पर प्रतिबंद लगने की उम्मीद जताई जा रही है। इस कड़ी में बालू माफिया और सिंडिकेट पहले ही सक्रिय हो गए हैं। बालू की जमाखोरी तेज़ हो गई है, जिससे कीमतों में जबरदस्त बढ़ोतरी देखी जा रही है।
राजधानी में बालू ज्यादा मेहंगा
पांच दिन पहले तक जहां एक हाईवा (500 सीएफटी) बालू की कीमत ₹28,000 थी, वहीं अब यह ₹33,000 तक पहुंच गई है। वहीं टर्बो (100 सीएफटी) बालू ₹4500 से बढ़कर ₹6500 में बिक रहा है। राजधानी रांची में सबसे ज़्यादा कीमतों में उछाल देखा गया है। अनुमान है कि 10 जून के बाद बालू और महंगा हो सकता है।
सरकारी दर से चार गुना महंगे दाम पर बिक रहा बालू
राज्य सरकार ने बालू की दर ₹7.87 प्रति सीएफटी तय की है। यानी 100 सीएफटी बालू की सरकारी कीमत ₹787 होती है और ढुलाई मिलाकर यह अधिकतम ₹3300 तक पहुंचनी चाहिए। लेकिन वर्तमान में यह ₹6000 से ₹6500 तक बेचा जा रहा है। यह सरकारी दर से करीब चार गुना महंगा है। इस जमाखोरी और कालाबाजारी में पुलिस, प्रशासन और कुछ स्थानीय नेताओं की मिलीभगत की आशंका जताई जा रही है।
राज्य में 44 अधिकृत घाट
झारखंड में कुल 44 अधिकृत बालू घाट हैं, लेकिन फिलहाल केवल 27 घाटों से ही वैध खनन हो रहा है। लगभग 100 घाटों को पर्यावरणीय मंजूरी मिलने की प्रक्रिया अभी लंबित है। नियमों में बदलाव के कारण नए टेंडर भी जारी नहीं हो पा रहे हैं। इस स्थिति का फायदा उठाते हुए A कैटेगरी के 400 से अधिक घाटों से अवैध बालू खनन किया जा रहा है।
पलामू में ग्रामीण बोरी से ला रहे बालू
पलामू जिले के मोहम्मदगंज क्षेत्र में ग्रामीण कोयल नदी से बोरी में बालू भरकर ला रहे हैं ताकि निर्माण कार्यों में उसका इस्तेमाल कर सकें। यहां रोजाना सैकड़ों ग्रामीण बालू जमा कर रहे हैं।
जिलेवार बालू की स्थिति और कीमतें (100 CFT के अनुसार) :
जिला | कीमत (₹) | अन्य जानकारी |
रांची | ₹6500 | 3 घाट चालू, श्यामनगर में 2 लाख CFT स्टॉक |
लातेहार | ₹1000 (अवैध) | कोई घाट टेंडर नहीं, अवैध खनन |
गढ़वा | ₹4500 | 10 स्टॉकिस्ट, बिहार से बालू आयात |
सिमडेगा | ₹3000 (80 CFT) | बिहार के नाम पर स्थानीय बालू की बिक्री |
गुमला | ₹1600 | 4 लाख CFT स्टॉक, कोई टेंडर नहीं |
पलामू | ₹4000 | 92 घाट, सिर्फ 1 वैध; ग्रामीण खुद उठा रहे बालू |
बोकारो | ₹4500 (80 CFT) | कोई वैध स्टॉकिस्ट नहीं |
खूंटी | ₹6000 | 5.5 लाख CFT स्टॉक, अवैध बिक्री ज्यादा |
गिरिडीह | ₹1800 | कोई टेंडर नहीं, पूरी तरह अवैध उठाव |
जामताड़ा | ₹2000 | 3 स्टॉकिस्ट, 2 लाख CFT स्टॉक |
चाईबासा | ₹6000 (120 CFT) | कोई स्टॉकिस्ट नहीं, अवैध धंधा |
चतरा | ₹3500 | लिलाजन नदी के 3 घाट चालू, 4 लाख CFT स्टॉक |
झारखंड में बालू की कालाबाजारी और जमाखोरी से आम जनता को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। जब तक बालू घाटों का पारदर्शी टेंडर नहीं होगा और प्रशासनिक निगरानी नहीं बढ़ेगी, तब तक बालू की महंगाई और अवैध धंधा थमने की उम्मीद कम है।
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