Johar Live Desk : नवरात्रि के पावन पर्व में मंगलवार को अष्टमी तिथि मनाई जा रही है, जिसे दुर्गा अष्टमी या महाअष्टमी के रूप में जाना जाता है। यह दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी की आराधना के लिए समर्पित है। मान्यता है कि इस दिन मां महागौरी की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन के कष्ट दूर होते हैं।
मां महागौरी का स्वरूप और महत्व
मां महागौरी का रंग पूर्णतः गौर यानी श्वेत है, जिसके कारण उन्हें महागौरी कहा जाता है। उनके स्वरूप की तुलना शंख, चंद्रमा और कुंद के फूल से की जाती है। मां महागौरी को आठ वर्ष की कन्या के रूप में पूजा जाता है। उनके वस्त्र और आभूषण श्वेत रंग के होते हैं। वे धन, ऐश्वर्य और सुख-समृद्धि प्रदान करने वाली मानी जाती हैं। साथ ही शारीरिक, मानसिक और सांसारिक कष्टों का नाश करती हैं।
मान्यता है कि मां सीता ने भगवान श्रीराम की प्राप्ति के लिए मां महागौरी की ही पूजा की थी। इस दिन पूजा करने से वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है, विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं और पारिवारिक कलह समाप्त होती है।

अष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त
- ब्रह्म मुहूर्त : सुबह 04:38 से 05:26 तक
- अभिजित मुहूर्त : सुबह 11:48 से दोपहर 12:35 तक
- विजय मुहूर्त : दोपहर 02:11 से 02:58 तक
मां महागौरी की पूजा विधि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- मां महागौरी को सफेद फूल अर्पित करें।
- मां की वंदना मंत्र का जाप करें।
- भोग के रूप में हलवा, पूरी, सब्जी, काले चने और नारियल चढ़ाएं।
- मां को चुनरी अर्पित करें।
- पूजा के बाद कन्याओं को देवी का स्वरूप मानकर उनका पूजन करें और भोजन कराएं। यह कार्य शुभ फलदायी माना जाता है।
नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर मां महागौरी की पूजा से भक्तों को सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस पावन दिन पर मां की कृपा पाने के लिए नियम और निष्ठा के साथ पूजा करें।
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