New Delhi : बहुचर्चित लैंड फॉर जॉब घोटाले में आज यानी शुक्रवार को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले पर अहम सुनवाई होने जा रही है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 9 मई को इस मामले में मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी थी. बता दें कि यह मंजूरी सीआरपीसी (CrPC) की धारा 197(1) और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 218 के तहत दी गई है. ED यानी प्रवर्तन निदेशालय इस मामले की जांच कर रही है. एजेंसी ने पिछले साल अगस्त में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) प्रमुख लालू प्रसाद यादव, उनके बेटे बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था.
यह केस CBI की एक FIR के आधार पर दर्ज किया गया था जिसमें आरोप लगाया गया था कि रेलवे में नौकरी देने के बदले जमीन ली गई. ED की चार्जशीट के अनुसार लालू प्रसाद ने कथित रूप से अपनी आय के स्रोत को छिपाने और संपत्तियों को वैध बनाने के लिए अपने परिवार व सहयोगियों के साथ मिलकर आपराधिक साजिश रची.
लैंड फॉर जॉब डील्स – 7 बिंदुओं में समझें पूरा मामला
- किशुन देव राय डील (2008) : 3,375 वर्ग फीट जमीन मात्र ₹3.75 लाख में राबड़ी देवी को बेची गई. इसके बाद विक्रेता के परिवार के तीन सदस्यों को रेलवे में नौकरी मिल गई.
- संजय राय डील (2008) : संजय राय ने भी समान जमीन समान कीमत पर राबड़ी देवी को बेची और उनके परिवार के सदस्य भी रेलवे में नियुक्त हुए.
- किरण देवी डील (2007) : 80,905 वर्ग फीट जमीन मीसा भारती को ₹3.70 लाख में बेची गई. इसके बाद किरण देवी के बेटे को रेलवे में नौकरी मिली.
- हजारी राय डील (2007) : हजारी राय ने जमीन एके इंफो सिस्टम को बेची, जिसकी संपत्ति बाद में लालू परिवार के पास पहुंची. उनके भतीजों को रेलवे में नौकरी मिली.
- लाल बाबू राय डील (2015) : 1,360 वर्ग फीट जमीन ₹13 लाख में राबड़ी देवी को बेची गई. विक्रेता के बेटे को 2006 में रेलवे नौकरी मिल गई थी.
- हृदयानंद चौधरी डील (2008) : जमीन लालू यादव की बेटी हेमा को गिफ्ट की गई, जबकि गिफ्ट देने वाला व्यक्ति दूर का भी रिश्तेदार नहीं था. जमीन की बाजार कीमत ₹62 लाख आंकी गई.
- विशुन देव राय डील (2008) : जमीन ललन चौधरी को दी गई, जिनके पोते को नौकरी मिली और बाद में यह जमीन हेमा यादव को ट्रांसफर कर दी गई.
क्या है आगे?
राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद अब अदालत इस मामले में आगे की सुनवाई करेगी. अगर आरोप साबित होते हैं तो लालू परिवार के कई सदस्य गंभीर कानूनी संकट में फंस सकते हैं. आज की सुनवाई में यह स्पष्ट हो सकता है कि मामले की दिशा क्या होगी.
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