New Delhi : जस्टिस सूर्यकांत सोमवार को देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में पदभार ग्रहण करेंगे। वह जस्टिस बीआर गवई का स्थान लेंगे, जिनका कार्यकाल 23 नवंबर को समाप्त हुआ। जस्टिस सूर्यकांत को 30 अक्टूबर को अगले सीजेआई के रूप में नियुक्त किया गया था और वे लगभग 15 महीने तक इस पद पर रहेंगे। उनकी सेवानिवृत्ति 9 फरवरी 2027 को निर्धारित है।
हरियाणा के हिसार जिले में 10 फरवरी 1962 को जन्मे जस्टिस सूर्यकांत एक साधारण परिवार से निकलकर देश के सर्वोच्च न्यायिक पद तक पहुंचे हैं। उनकी शिक्षा का रिकॉर्ड भी शानदार रहा है। उन्हें कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से कानून में स्नातकोत्तर की परीक्षा में प्रथम श्रेणी में प्रथम स्थान मिला था।
अपने करियर के दौरान जस्टिस सूर्यकांत कई ऐतिहासिक फैसलों और महत्वपूर्ण आदेशों का हिस्सा रहे हैं। इनमें अनुच्छेद 370 हटाने से जुड़े फैसले, पेगासस जासूसी मामले की जांच समिति का गठन, राजद्रोह कानून पर रोक लगाने का निर्देश और बिहार में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण से जुड़े आदेश शामिल हैं। एक आदेश में उन्होंने एक महिला सरपंच को लैंगिक पूर्वाग्रह के कारण गलत तरीके से हटाए जाने पर बहाल भी किया था।

वह उन न्यायाधीशों की पीठ में भी शामिल रहे जिन्होंने सेना की वन रैंक-वन पेंशन योजना को संवैधानिक रूप से वैध ठहराया। इसके अलावा उन्होंने बार एसोसिएशनों में एक-तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित करने का निर्देश भी दिया। जस्टिस सूर्यकांत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पंजाब यात्रा में सुरक्षा चूक की जांच के लिए गठित समिति की पीठ का भी हिस्सा थे।
इन दिनों वह उस पीठ में शामिल हैं जो राज्यपाल और राष्ट्रपति की शक्तियों से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई कर रही है। यह फैसला आने वाले समय में सभी राज्यों पर असर डाल सकता है।
जस्टिस सूर्यकांत का अब तक का सफर न्यायपालिका में उनकी गहरी समझ, संवैधानिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता और सामाजिक न्याय के प्रति दृढ़ दृष्टिकोण को दर्शाता है। उनकी नियुक्ति के साथ अब न्यायपालिका में एक नए अध्याय की शुरुआत मानी जा रही है।
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