Ranchi : झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) की सिविल सेवा परीक्षा पास करने के बावजूद नौकरी से वंचित रह गई आदिवासी उम्मीदवार श्रेया कुमारी तिर्की को अब न्याय मिला है। सुप्रीम कोर्ट ने आयोग को आदेश दिया है कि वह श्रेया के लिए पुनः मेडिकल टेस्ट कराए। सफल होने पर उसे उसी तारीख से नौकरी दी जाए, जिस दिन अन्य अभ्यर्थियों को नियुक्ति मिली थी।
मेडिकल तारीख में गड़बड़ी से छिना मौका
श्रेय कुमारी तिर्की ने प्रीलिम्स और मेन्स दोनों परीक्षा पास की थी। इंटरव्यू व डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन भी सफलतापूर्वक पूरा किया था। लेकिन मेडिकल जांच की तारीख को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा हो गई और वह समय पर टेस्ट में शामिल नहीं हो सकीं। इसी आधार पर आयोग ने उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी थी।
हाईकोर्ट ने की थी याचिका खारिज
इस फैसले के खिलाफ श्रेया ने पहले झारखंड हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन वहां से राहत नहीं मिली। हाईकोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपील की। जहां जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की बेंच ने आयोग को नया मेडिकल टेस्ट कराने का आदेश सुनाया।

प्रक्रिया न्याय की दुश्मन नहीं बन सकती
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा कि चयन प्रक्रिया का उद्देश्य योग्य उम्मीदवार को बाहर करना नहीं होना चाहिए। अदालत ने टिप्पणी की कि प्रक्रिया न्याय की दासी है, उसे अन्याय करने का औजार नहीं बनाया जा सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि भले ही उम्मीदवार से छोटी चूक हुई हो, लेकिन इतनी बड़ी सजा देना अनुचित है।
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