Ranchi : JLKM यानी झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा के केंद्रीय वरीय उपाध्यक्ष देवेंद्रनाथ महतो ने कहा कि हूल दिवस हमारे लिए सिर्फ इतिहास की स्मृति नहीं, बल्कि निरंतर संघर्ष की प्रेरणा है। 1855 में भोगनाडीह से शुरू हुआ आदिवासी आंदोलन आज भी जल, जंगल, जमीन की रक्षा और बाहरी तत्वों के खिलाफ जारी है। आज की सरकारें आदिवासी-मूलवासी अधिकारों को कमजोर कर, प्राकृतिक संसाधनों की लूट में सहभागी बन रही हैं। हमारा संघर्ष इन्हीं षड्यंत्रों के खिलाफ है। मौका था हूल दिवस के अवसर पर सिद्धो-कान्हू को श्रद्धांजलि देने का। JLKM ने रांची के सिद्धो-कान्हू पार्क में उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी और नमन किया। आदिवासी नृत्य संगीत से सराबोर सभी लोगों ने सिद्धो, कान्हू, चांद, भैरव, फूलो-झानो के जयघोष के साथ सांस्कृतिक वेशभूषा में उत्सव मनाया। देवेंद्रनाथ महतो ने कहा कि संगठन की मांग है कि सरकार आदिवासी-मूलवासी की ज़मीन और पहचान की रक्षा करें। स्थानीय समुदायों को उनका आरक्षण, क्षेत्रीय अधिकार और सम्मान पूरी तरह सुनिश्चित किया जाए। कार्यक्रम में मुख्य रूप से मोर्चा के जिलाध्यक्ष आलोक उरांव, पार्वती देवी, संतोष साहू, चंदन रजक, रविंद्र दीपक, अनूप सिंह, अजहर अंसारी, प्रभाकर सहित अन्य लोग मौजूद थे।
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