Ranchi : झारखंड ने आम और तरबूज के उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल कर ली है। इस उपलब्धि में बिरसा हरित ग्राम योजना ने अहम भूमिका निभाई है। इस योजना को शुरू हुए पांच साल हो चुके हैं, और इन वर्षों में बड़े पैमाने पर आम की बागवानी की गई है।
झारखंड देश का पहला राज्य है, जहां सरकार किसानों को बागवानी के साथ-साथ फलदार पेड़ों की देखरेख के लिए कम से कम पांच साल तक आर्थिक मदद देती है। इस योजना के तहत पिछले पांच वर्षों में करीब 1.58 करोड़ फलदार पौधे लगाए गए, जिनमें सबसे ज्यादा आम के पेड़ हैं। इन पौधों की देखरेख की जिम्मेदारी भी सरकार ने उठाई है।
इस दौरान पौधों के बीच दूसरी फसलें उगाकर किसानों की आमदनी बढ़ाई गई। पहले बिहार पर निर्भर रहने वाला झारखंड अब आम और तरबूज उत्पादन में आत्मनिर्भर हो गया है। मनरेगा आयुक्त मत्युंजय वर्णवाल ने बताया कि कोविड काल में दूसरे राज्यों से लौटे मजदूरों के लिए शुरू की गई इस योजना ने पूरे राज्य में अपनी जगह बना ली है।
वर्तमान में 1.67 लाख परिवार इस योजना से लाभ कमा रहे हैं। पिछले पांच वर्षों का आंकड़ा इस प्रकार है :
2020-21 : 30,023 परिवार, 25,694 हेक्टेयर, 26,41,429 पौधे
2021-22 : 23,554 परिवार, 20,650 हेक्टेयर, 23,12,800 पौधे
2022-23 : 23,470 परिवार, 20,933 हेक्टेयर, 23,44,496 पौधे
2023-24 : 50,334 परिवार, 43,388 हेक्टेयर, 47,48,621 पौधे
2024-25 : 32,074 परिवार, 29,219 हेक्टेयर, 32,10,857 पौधे
कुल : 1,67,196 परिवार, 1,45,861 हेक्टेयर, 1,58,90,187 पौधे
वर्णवाल ने कहा कि कुछ पौधे सूख जाते हैं, इसलिए सरकार पांच साल तक पौधों की देखरेख, दवाइयों और प्रबंधन का जिम्मा लेती है। अब झारखंड में बिहार से आम और तरबूज की आपूर्ति लगभग बंद हो चुकी है। यह योजना न केवल किसानों की आय बढ़ा रही है, बल्कि झारखंड का कायाकल्प भी कर रही है।
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