Jharkhand: झारखंड के खूंटी-सिमडेगा मुख्य मार्ग पर स्थित पुल के दो टुकड़ों में टूटने की घटना ने पथ निर्माण विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। करोड़ों की लागत से बने इस पुल के गिरने के बाद विभाग ने जांच टीम गठित कर दी है जिसने प्रारंभिक रिपोर्ट में फाउंडेशन में गड़बड़ी की पुष्टि की है।
2007 में करीब 1.27 करोड़ रुपये की लागत से बना यह पुल सौ साल की मजबूती के दावे के साथ तैयार किया गया था लेकिन महज 18 वर्षों में ही इसकी हालत जर्जर हो गई और गुरुवार को यह हादसे का शिकार हो गया।
प्राथमिक जांच में यह सामने आया है कि पुल के पिलर का फाउंडेशन जहां 19 मीटर गहरा होना चाहिए था वहां दस्तावेजों में केवल 13 मीटर की खुदाई दर्ज है। यानी फाउंडेशन में 6 मीटर की कमी साफ तौर पर देखी गई है। इससे यह आशंका गहराई है कि निर्माण के दौरान नियमों और तकनीकी मानकों से समझौता किया गया।
इस पुल का निर्माण कार्यपालक अभियंता दिनेश टोपनो की निगरानी में हुआ था जिसमें सहायक अभियंता अरविंद वर्मा और जूनियर इंजीनियर देव सहाय भगत भी शामिल थे। सूत्रों का कहना है कि ठेकेदार और अफसरों की मिलीभगत से फाउंडेशन की गहराई में कटौती की गई जिससे पुल की नींव कमजोर हो गई और यह हादसा हो गया।
2005 में इसी जगह बना पुराना पुल भी तेज बहाव में बह गया था, जिसके बाद 2007 में इस नए पुल का निर्माण किया गया था। उस समय इसे भविष्य के ट्रैफिक और मौसमीय हालात को ध्यान में रखते हुए बनाया गया बताया गया था।
अब जब पुल अचानक टूट गया, तो विभाग ने तकनीकी जांच समिति गठित कर दी है, जो पूरे मामले की विस्तृत समीक्षा कर रही है। विभाग का कहना है कि अगर जांच में किसी भी तरह की अनियमितता या लापरवाही पाई जाती है तो संबंधित अभियंताओं और ठेकेदार पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इस हादसे के बाद से इलाके में आवाजाही बाधित हो गई है, और लोगों में नाराजगी भी देखने को मिल रही है। स्थानीय नागरिकों ने सरकार से दोषियों को चिन्हित कर उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की है।
Also read: दुकान में मिली मालिक की बॉडी, पुलिस ने शुरू की जांच