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    Home»जोहार ब्रेकिंग»मजदूरों का छलका दर्द, अपनी ही मिट्टी में रोजगार मिलता, तो फिर क्यों करते पलायन
    जोहार ब्रेकिंग

    मजदूरों का छलका दर्द, अपनी ही मिट्टी में रोजगार मिलता, तो फिर क्यों करते पलायन

    Team JoharBy Team JoharMay 28, 2020No Comments2 Mins Read
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    Joharlive Team

    रांची। आजादी के बाद से ही गरीबों और मजदूरों की समस्याओं को लेकर सियासत तो खूब हुई, लेकिन मजदूरों के सपनों के रथ के अश्वों को कोई दिशा आज तक नहीं मिल पायी। परिणाम, पलयान, बेरोजगारी, भुखमरी के विभत्स रूप में कोरोना संक्रमण काल में व्यवस्था के सामने हैं।

    कोरोना बंदी के कारण बेरोजगारी और भुखमरी से तबाह असंख्य कामगारों की भीड़ शायद व्यवस्था के रहनुमाओं से यही सवाल कर रही है कि यदि उनके जीवकोपार्जन की व्यवस्था उन्हीं के इलाके में हो जाती, तो वे अपनी मिट्टी को छोड़कर जलालत भरी जिंदगी जीने के लिए पलायन क्यों करते। उदाहरण के तौर पर खूंटी जिले की बाते करें, तो कुछ तथाकथित जिम्मेदारों ने सियासत की बिसात पर ऐसी गोटी बिठायी, जिसका खमियाजा आज भी खूंटी की जनता भुगत रही है।

    आज जब स्थानीय कामगारों का लौटना जारी है, इसी लापरवाही की तस्वीर एक बार फिर व्यवस्था से सवाल कर रही है कि कामगारों का पलायन कब रूकेगा और उन्हें अपने ही गांव-घर में दो वक्त की रोटी मिलेगी।

    छह प्रखंडों वाले खूंटी जिले में ऐसा कोई बड़ा उद्योग या रोजगार का साधन नहीं, जो यहां से पलायन पर पूरी तरह रोक लगा सके। कभी पूरे देश में चर्चा का केंद्र बनी कोयल कारो जल विद्युत परियोजना की बात हो, या मित्तल या जिंदल फैक्टरी का अथवा भूषण स्टील का, कुछ राजनीतिक दलों और स्थानीय लोगों के विरोध के कारण ये कंपनियां मूर्त रूप नहीं ले सकी।

    जानकार बताते हैं कि इनमें एक-दो कारखाने भी खूंटी में लग जाते तो हजारों लोगों को रोजगार मिलता और खूंटी जिला पलायन के अभिशाप से मुक्त हो सकता था, पर कुछ तथाकथित सामाजिक संगठनों और विस्थापन विरोधी नेताओं के बहकावे में आकर स्थानीय लोगों ने हर छोटी-बड़ी परियोजनाओं का विरोध करना शुरू कर दिया। इसका परिणाम हुआ कि सभी कंपनियों ने खूंटी से अपने हाथ खींच लिये और आज भी खूंटी उद्योग विहीन है।

    स्थानीय जानकार मानते हैं कि दूसरे राज्यों से अपने गांव लौटे प्रवासी कामगारों को रोजगार उपलब्ध कराना इतना आसान नहीं है। सिर्फ मनरेगा और अन्य छोटी-छोटी विकास योजनाओं से पलायन रोकना और मजदूरों को उनके गांव-घर में रोजगार देना असंभव नहीं, तो कठिन जरूर है। जानकार कहते हैं कि पलायन और रोजगार के लिए खूंटी जिले में उद्योग-धंधों को बढ़ावा देना ही पड़ेगा।

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