Ghatsila: घाटशिला विधानसभा उपचुनाव में प्रत्याशियों के ऐलान के साथ ही मुकाबले की तस्वीर साफ हो गई है। 17 अक्टूबर को झामुमो उम्मीदवार सोमेश सोरेन और भाजपा के बाबूलाल सोरेन अपना नामांकन दाखिल करेंगे। इस दौरान दोनों ही दलों की शीर्ष नेतृत्व टीम मौजूद रहेगी। झामुमो उम्मीदवार सोमेश सोरेन के नामांकन के अवसर पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और गांडेय विधायक कल्पना सोरेन उपस्थित होंगी। वहीं, भाजपा उम्मीदवार बाबूलाल सोरेन का समर्थन करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन और प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी समेत कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहेंगे।
झामुमो ने इस उपचुनाव के लिए पूर्व शिक्षा मंत्री दिवंगत रामदास सोरेन के बेटे सोमेश चंद्र सोरेन को उम्मीदवार बनाया है। रामदास सोरेन के निधन के बाद यह सीट खाली हुई थी। भाजपा ने इस बार पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन को मैदान में उतारा है। घाटशिला सीट अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित है, और दोनों प्रमुख दलों ने अपने परंपरागत मजबूत चेहरे यहां उतारे हैं।
विशेष रूप से यह मुकाबला सिर्फ पारिवारिक प्रभाव का नहीं, बल्कि राजनीतिक प्रतिशोध की लड़ाई के रूप में भी देखा जा रहा है। 2024 के विधानसभा चुनाव में बाबूलाल सोरेन इसी सीट से रामदास सोरेन से 22,464 वोटों से हार चुके हैं। इस बार भाजपा अपनी हार का बदला लेने के इरादे से मैदान में उतरी है, जबकि झामुमो भावनात्मक जुड़ाव और सहानुभूति की लहर पर भरोसा कर रही है।

उपचुनाव में कुल 2.56 लाख मतदाता हैं, जिनमें 1.31 लाख महिला मतदाता शामिल हैं। मतदान 11 नवंबर को होगा और मतगणना 14 नवंबर को की जाएगी। कुल 231 स्थानों पर 300 मतदान केंद्र बनाए गए हैं, और सुरक्षा तथा प्रशासनिक तैयारियां पूरी तरह तेज़ कर दी गई हैं।
घाटशिला में राजनीतिक माहौल काफी गरम है। झामुमो इसे स्वाभिमान और विरासत की लड़ाई बता रही है, जबकि भाजपा इसे परिवर्तन और जवाबदेही का चुनाव घोषित कर रही है। ऐसे में यह उपचुनाव केवल एक सीट की लड़ाई नहीं, बल्कि दो सोरेन परिवारों के प्रतिष्ठा संघर्ष में बदलता नजर आ रहा है।