बैंगन का इतिहास काफी पुराना है और इसे भारत की सब्जी माना जाता है. कयास लगाए जाते हैं कि इसका नाम बैंगन इसलिए पड़ा, क्योंकि यह बेगुण है. लेकिन इस कयास में कोई दम नहीं है. बैंगन खाने से मोटापा तो कंट्रोल में रहता ही है, यह दिमाग को भी तंदरुस्त रखता है. माना यह भी जाता है कि भोजन को संतुलित बनाए रखने के लिए बैंगन का सेवन करते रहना चाहिए. बैंगन को सब्जियों का राजा भी कहा जाता है, लेकिन इस दावे में दम नहीं है.
भारत का प्राचीन आहार है बैंगन
हजारों साल पहले बैंगन को जंगली माना जाता था, लेकिन इसके गुण पता होने के बाद इसकी खेती की जाने लगी. वनस्पति विज्ञानी व लेखक डॉ. बिश्वजीत चौधरी बैंगन को भारत की सब्जी मानते हैं और यह भी कहते हैं कि देश में यह सब्जी के रूप में प्राचीन काल से ही खाया जा रहा है.
भारतीय अमेरिकन वनस्पति शास्त्री डॉ. सुषमा नैथानी ने अपनी रिसर्च रिपोर्ट में जानकारी दी है कि बैंगन का उत्पत्ति केंद्र इंडो-बर्मा उपकेंद्र है, जिसमें भारत का असम का इलाका और पड़ोसी म्यांमार शामिल है. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि कौन सी शताब्दी या काल में बैंगन की उत्पत्ति हुई और यह कैसे पूरे विश्व तक पहुंचा.
से एक रिपोर्ट ने यह कन्फर्म किया है कि हड़प्पाकालीन सभ्यता में बैंगन का सेवन किया जाता था. बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2010 में हड़प्पा सभ्यता के सबसे बड़े शहर राखीगढ़ी स्थित फरमाना क्षेत्र में खुदाई के दौरान प्राप्त खाने-पीने की वस्तुओं को शोधकर्ताओं ने विश्लेषण किया था.
इनमें वैंकूवर यूनिवर्सिटी और वाशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी के पुरातत्वविद अरुणिमा कश्यप और स्टीव वेबर ने स्टार्च एनालिसिस करके मिट्टी के एक बर्तन में दुनिया की सबसे पुरानी सब्जी (पकी हुई) खोज निकाली, जो बैंगन, अदरक और हल्दी डालकर बनाई गई थी. इसका अर्थ यही था कि आज से 4000 साल पूर्व बैंगन भोजन में शामिल था. यह बैंगन की खट्टी-मीठी सब्जी थी.