Ranchi : झारखंड के पूर्व CM रघुवर दास ने आज यानी गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर एक कार्यक्रम में सम्मिलित होकर पहानों को सम्मानित किया। यह कार्यक्रम रांची के धुर्वा क्षेत्र में आयोजित किया गया था, जिसमें आदिवासी समाज के पारंपरिक गुरुओं – पहान, मानकी-मुंडा, मांझी-परगनेत को सम्मानित किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन झारखंड आदिवासी सरना विकास समिति द्वारा किया गया था।
इस दौरान रघुवर दास ने कहा कि, “गुरु हमारे जीवन को दिशा देने वाले होते हैं। माता-पिता, शिक्षक और धर्मगुरु हमारे व्यक्तित्व निर्माण में अहम भूमिका निभाते हैं। आज मैंने जो आदिवासी समाज के प्रकृति पूजक गुरुओं को सम्मानित किया है, वह मेरे लिए गर्व का विषय है।” उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज पर्यावरण और संस्कृति के रक्षक हैं, लेकिन आज उनकी परंपराओं और संसाधनों पर कई तरह के खतरे मंडरा रहे हैं।
प्राकृतिक संसाधनों की लूट और धर्मांतरण पर साधा निशाना
पूर्व CM ने आरोप लगाया कि पिछले कुछ वर्षों में कोयला, बालू और पत्थर की जमकर लूट हुई है। उन्होंने कहा, “झारखंड को प्रकृति ने अपार संपदा दी है, लेकिन इनका लाभ आम लोगों को नहीं मिल रहा। सिंडिकेट के माध्यम से संसाधनों की लूट जारी है, और आदिवासियों को घर बनाने के लिए बालू तक नहीं मिल पा रहा।” धर्मांतरण के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि संथाल परगना जैसे क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर धर्मांतरण हो रहा है। उन्होंने इसे विदेशी धर्मों का प्रभाव बताते हुए कहा कि “लव जिहाद और जमीन जिहाद के मामले बढ़ रहे हैं, लेकिन राज्य सरकार चुप है।”
पेसा कानून लागू करने की मांग
रघुवर दास ने पेसा कानून को लेकर राज्य सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि “विदेशी धार्मिक दबाव के कारण झारखंड सरकार इस कानून को लागू नहीं कर रही है।” उन्होंने कहा कि पेसा कानून लागू होने से ग्राम प्रधानों का चुनाव पारंपरिक रीति से होगा और ग्राम समितियों को स्थानीय संसाधनों पर अधिकार मिलेगा, जिससे गांवों की आर्थिक स्थिति सुधरेगी। उन्होंने बताया कि यदि पेसा लागू हुआ तो गांवों को 15वें वित्त आयोग के तहत 1400 करोड़ रुपये का लाभ मिलेगा और जल, जंगल, जमीन की रक्षा संभव हो सकेगी।
कार्यक्रम में रही बड़ी भागीदारी
इस मौके पर पहान कंचन होरो, पहनाई परनो होरो, पहनाई सुमनी, पहान अभय, तीतराम उरांव, मेघा उरांव, बलराम सिंह, उमेश यादव समेत बड़ी संख्या में गणमान्य लोग और समाज के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
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