Jamshedpur : दलमा वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी में भगवान शिव को जल चढ़ाने आने वाले श्रद्धालुओं (कांवरियों) से अब प्रवेश शुल्क नहीं लिया जाएगा। यह फैसला वन विभाग ने आस्था का सम्मान करते हुए लिया है। जमशेदपुर के डीएफओ सबा आलम ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि श्रद्धालुओं की सेवा में कोई कमी नहीं होने दी जाएगी और अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की।
भाजपा ने बताया सनातनियों की जीत
वन विभाग के इस फैसले का भाजपा ने स्वागत किया है। पार्टी प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि सरकार ने श्रद्धालुओं पर लगाया गया टैक्स वापस लेकर सनातनियों की आस्था का सम्मान किया है। इससे पहले उन्होंने श्रद्धालुओं से वसूले जा रहे शुल्क की तुलना मुगलकाल के जजिया टैक्स से की थी और सरकार पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया था।
पहले क्यों हुआ था विवाद?
दरअसल, विवाद तब शुरू हुआ जब यह खबर आई कि दलमा पहाड़ पर शिवलिंग के दर्शन के लिए जाने वाले श्रद्धालुओं से वन विभाग शुल्क वसूल रहा है। डीएफओ सबा आलम ने सफाई दी थी कि यह व्यवस्था नई नहीं है और पहले से चली आ रही है। इस साल तो प्रवेश शुल्क को कम भी किया गया था — जैसे कि :
- चार पहिया वाहनों पर ₹600 से घटाकर ₹150
- तीन पहिया वाहनों पर ₹400 से ₹100
- पैदल श्रद्धालुओं से ₹10 की जगह ₹5
- बाइक से आने वालों पर ₹50 शुल्क तय किया गया था
वन विभाग के अनुसार श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए 60-70 कर्मियों की तैनाती की गई थी, साथ ही टेंट, पानी और सफाई की व्यवस्था भी की जा रही थी।
झामुमो विधायक ने की थी हस्तक्षेप
विवाद बढ़ने पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक मंगल कालिंदी ने डीएफओ से मुलाकात की थी और आग्रह किया था कि पैदल कांवरियों से प्रवेश शुल्क न लिया जाए। उन्होंने इस शुल्क को खुद वहन करने की बात भी कही थी और सुझाव दिया था कि दलमा बाबा मंदिर की व्यवस्था तिरुपति बालाजी मंदिर की तरह विकसित की जाए।
वन विभाग ने अब श्रद्धालुओं की भावनाओं का सम्मान करते हुए प्रवेश शुल्क पूरी तरह हटा लिया है। विभाग ने यह भी आश्वासन दिया है कि कांवरियों की सुरक्षा और सुविधा का पूरा ख्याल रखा जाएगा।
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