Ranchi: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और दिशोम गुरु शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए, डीआईजी नौशाद आलम ने एक भावुक संदेश साझा किया, जिसमें उन्होंने शिबू सोरेन के जीवन के संघर्ष और उनकी प्रेरणादायक शिक्षाओं को याद किया।
नौशाद आलम ने अपनी श्रद्धांजलि में लिखा, “मैं एक पुलिस अधिकारी हूं और सख्ती, अनुशासन और कर्तव्य मेरी वर्दी का हिस्सा हैं। लेकिन जब मैंने शिबू सोरेन जी से जुड़ने का मौका पाया, तो वर्दी के नीचे का दिल भी बहुत कुछ सीख गया। वह केवल एक नेता नहीं थे, वह मेरी आत्मा को छूने वाले विचार थे।”
उनका कहना था कि शिबू सोरेन के विचारों और मार्गदर्शन ने उनकी सोच को नया रूप दिया। “शिबू जी हमेशा कहते थे, ‘नौशाद, झारखंड तभी आगे बढ़ेगा जब हम उसके सबसे कमजोर को आगे बढ़ाएं। जब अधिकारी जनता की आवाज़ से जुड़ेगा, तभी व्यवस्था जिंदा कहलाएगी।’ उनके इन शब्दों ने मेरी सोच और कार्य करने के तरीके को पूरी तरह से बदल दिया।”
नौशाद आलम ने बताया कि उन्होंने शिबू सोरेन से यह भी सीखा कि एक अधिकारी का धर्म सिर्फ आदेश देने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जनता की पीड़ा को समझकर, उनके लिए काम करना है। “शिबू जी ने मुझसे कहा था कि शिक्षा सबसे बड़ा अस्त्र है और नकारात्मकता से जितना हो सके, दूर रहो। उन्होंने यह भी सिखाया कि झारखंड की तरक्की केवल सकारात्मक सोच से संभव है।”
नौशाद आलम ने शिबू सोरेन को शत-शत नमन करते हुए कहा, “आप नहीं रहे, लेकिन आपके द्वारा दिए गए हर शब्द, हर मार्गदर्शन आज भी मेरे भीतर जलता हुआ दीपक है। मैं वादा करता हूं कि आपके विचार और मार्गदर्शन मेरे हर कार्य में जीवित रहेंगे।”
उन्होंने शिबू सोरेन की शिक्षा को अपना जीवन मंत्र मानते हुए यह भी कहा कि “विकास तभी पूरा होता है, जब आखिरी व्यक्ति मुस्कुराए।” डीआईजी ने इस श्रद्धांजलि में यह सुनिश्चित किया कि वह हमेशा शिबू सोरेन की शिक्षाओं और दृष्टिकोण के साथ समाज के लिए कार्य करते रहेंगे।