Johar Live Desk: MYNTRA पर 1,654 करोड़ रुपये के विदेशी निवेश नियम उल्लंघन का आरोप लगा है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कंपनी, उससे जुड़ी फर्मों और निदेशकों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। जांच बेंगलुरु जोनल ऑफिस में शुरू हुई, जहां ईडी को पुख्ता जानकारी मिली कि कंपनी मल्टी-ब्रांड रिटेल ट्रेडिंग कर रही थी, जबकि खुद को थोक व्यापार मॉडल में दिखा रही थी।
जांच में सामने आया कि MYNTRA ने ₹1,654.35 करोड़ का विदेशी निवेश इस दावे के साथ हासिल किया कि वह ‘कैश एंड कैरी’ यानी थोक व्यापार कर रही है। पर वास्तव में, कंपनी ने अपना अधिकांश सामान वेक्टर ई-कॉमर्स प्राइवेट लिमिटेड को बेचा, जो उसी ग्रुप की एक और कंपनी है। वेक्टर ने इन उत्पादों को सीधे ग्राहकों को बेचा।
ईडी का कहना है कि यह संरचना जानबूझकर बनाई गई थी ताकि सीधे ग्राहकों को बिक्री को छिपाकर, पहले बी2बी (बिजनेस-टू-बिजनेस) और फिर बी2सी (बिजनेस-टू-कंज़्यूमर) के रूप में दिखाया जा सके। इस तरह, कंपनी ने एफडीआई नीति के तहत मल्टी-ब्रांड रिटेल पर लगी सीमाओं को दरकिनार किया।
एफडीआई नीति के अनुसार, जो कंपनियां थोक व्यापार मॉडल पर काम करती हैं, वे अधिकतम 25% बिक्री ही अपनी संबंधित कंपनियों को कर सकती हैं। लेकिन मिन्त्रा ने 100% बिक्री वेक्टर को की, जिससे यह सीमा पूरी तरह से पार कर दी गई।
ईडी ने कहा कि मिन्त्रा और अन्य संबंधित इकाइयों ने फेमा 1999 की धारा 6(3)(b) और एफडीआई नीति के प्रावधानों का उल्लंघन किया है। इसी आधार पर फेमा की धारा 16(3) के तहत शिकायत दर्ज की गई है, जिसके तहत आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
कंपनी की ओर से इस मामले पर अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।
यह कार्रवाई ई-कॉमर्स कंपनियों पर नियामक एजेंसियों की बढ़ती निगरानी का संकेत देती है, खासकर एफडीआई नियमों के अनुपालन को लेकर।