Johar Live Desk : देशभर में गुरुवार को दशहरा यानी विजयादशमी का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाए जाने वाले इस त्योहार को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। इस दिन भगवान श्रीराम ने लंकेश रावण का वध किया था, जिसके कारण इसे विजयादशमी कहा जाता है। इसके साथ ही माता कात्यायनी दुर्गा ने महिषासुर का वध भी इसी दिन किया था।
दशहरे की परंपराएं
दशहरे के दिन रावण के पुतले का दहन करने की परंपरा है, जो बुराई के अंत का प्रतीक है। साथ ही इस दिन शस्त्र पूजन का भी विशेष महत्व है। मान्यता है कि नीलकंठ पक्षी को देखना इस दिन शुभ होता है, क्योंकि इसे भगवान शिव का रूप माना जाता है।
दशहरे का शुभ मुहूर्त :
पंचांग के अनुसार, दशमी तिथि 1 अक्टूबर को शाम 7:01 बजे शुरू हुई और 2 अक्टूबर को शाम 7:10 बजे समाप्त होगी।

- शस्त्र पूजन मुहूर्त : दोपहर 1:21 बजे से 3:44 बजे तक
- पूजन मुहूर्त : दोपहर 2:09 बजे से 2:56 बजे तक
- वाहन खरीदने का मुहूर्त : सुबह 10:41 बजे से दोपहर 1:39 बजे तक
- रावण दहन मुहूर्त : प्रदोष काल (सूर्यास्त के बाद)
दशहरे की कथाएं
महिषासुर वध : पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता कात्यायनी दुर्गा ने देवताओं के अनुरोध पर महिषासुर का वध किया था। इसके बाद से ही यह पर्व विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है।
राम-रावण युद्ध : वाल्मीकि रामायण के अनुसार, भगवान श्रीराम ने आश्विन प्रतिपदा से नवमी तक आदिशक्ति की उपासना की और दशमी को रावण का वध किया। इस जीत को बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में मनाया जाता है।
पांडवों की जीत : कथाओं के अनुसार, इसी दिन पांडवों का अज्ञातवास समाप्त हुआ था। उन्होंने शमी वृक्ष से अपने शस्त्र उठाकर कौरव सेना पर विजय प्राप्त की थी।
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