Ranchi : झारखंड ऊर्जा विकास श्रमिक संघ ने राज्य की एकमात्र चालू सिकिदिरी जल विद्युत परियोजना की उपेक्षा पर चिंता जताई है। संघ के अध्यक्ष अजय राय ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने बताया कि भारी वर्षा के कारण परियोजना स्थल पर पर्याप्त जल उपलब्ध होने के बावजूद संयंत्र पूरी तरह निष्क्रिय पड़ा है, जिससे राज्य को हर दिन करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है।
अजय राय ने बताया कि यह परियोजना झारखंड ऊर्जा उत्पादन निगम लिमिटेड (JUUNL) के अधीन है और इसकी स्थापित क्षमता 130 मेगावाट है। इसके बावजूद संयंत्र ठप्प पड़ा है, जबकि राज्य इस समय महंगी बिजली बाहर से खरीदने को मजबूर है। उन्होंने कहा कि परियोजना में बिजली उत्पादन की लागत प्रति यूनिट ₹1 से भी कम आती है, जबकि राज्य ₹5 से ₹7 प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीद रहा है। वर्ष 2018 में जब संयंत्र आंशिक रूप से शुरू हुआ था, तब लागत मात्र ₹0.87 प्रति यूनिट थी।
परियोजना निष्क्रियता के तीन मुख्य कारण बताए गए:
- भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी – उपकरणों की खरीद और मरम्मत में अनियमितता व कमीशनबाजी के आरोप।
- लालफीताशाही और प्रशासनिक निष्क्रियता – फाइलें महीनों अटकी रहती हैं, कोई जवाबदेही तय नहीं।
- तकनीकी संसाधनों की अनदेखी – भारी बारिश के बावजूद जल का उपयोग बिजली उत्पादन में नहीं हो पा रहा।
श्रमिक संघ ने मुख्यमंत्री से इस मामले की उच्च स्तरीय स्वतंत्र जांच कराने और दोषी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। साथ ही संयंत्र को जल्द से जल्द पुनः चालू करने की अपील की है। अजय राय ने कहा कि यदि सरकार इच्छाशक्ति दिखाए, तो यह परियोजना झारखंड को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना सकती है।