Johar Live Desk: दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को सड़कों से हटाने का मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में है। लोकल सर्किल्स द्वारा कराए गए सर्वे में पाया गया कि क्षेत्र के 12,816 नागरिकों में से 71 प्रतिशत लोग इस कदम के पक्ष में हैं, जबकि 24 प्रतिशत ने इसका विरोध किया और 5 प्रतिशत ने अपनी राय नहीं दी। यह सर्वे दिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा, फरीदाबाद और गाजियाबाद में किया गया, जिसमें नागरिकों से सीधा सवाल पूछा गया कि क्या आवारा कुत्तों को सड़कों से हटाकर किसी सुरक्षित स्थान पर ले जाना चाहिए।
इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और स्थानीय निकायों को निर्देश दिया है कि अगले दो महीनों में कम से कम 5,000 कुत्तों के लिए शेल्टर की व्यवस्था की जाए। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि इन शेल्टरों में बंध्याकरण और टीकाकरण जैसी अनिवार्य प्रक्रियाओं के साथ-साथ सीसीटीवी निगरानी और डॉग बाइट मामलों के लिए हेल्पलाइन की सुविधा भी होनी चाहिए। इसका उद्देश्य न केवल सड़कों पर बढ़ते कुत्तों के खतरे को कम करना है, बल्कि पशुओं की देखभाल और नियंत्रण को भी बेहतर बनाना है।
हालांकि, पशु अधिकार कार्यकर्ताओं का मानना है कि इतनी बड़ी संख्या में कुत्तों को शेल्टर में रखना बेहद कठिन होगा, क्योंकि फिलहाल एमसीडी के पास केवल 20 एनिमल कंट्रोल सेंटर हैं और संसाधन भी सीमित हैं। उनका कहना है कि पर्याप्त जगह, भोजन, चिकित्सा और कर्मचारियों की उपलब्धता जैसी चुनौतियां इस योजना को लागू करने में बड़ी बाधा बन सकती हैं।

जहां समर्थक इसे नागरिक सुरक्षा के लिहाज से जरूरी कदम मानते हैं और उम्मीद करते हैं कि इससे सड़कों पर कुत्तों के हमलों की घटनाएं कम होंगी, वहीं विरोधियों का कहना है कि यह अमानवीय और व्यावहारिक दृष्टि से असंभव है। उनके अनुसार, समस्या का समाधान केवल कुत्तों को हटाने में नहीं, बल्कि जिम्मेदार तरीके से उनकी देखभाल और नियंत्रण की व्यवस्था में है।