Johar Live Desk : हिंदू धर्म का सबसे बड़ा पर्व दिवाली इस साल 20 अक्टूबर 2025 (सोमवार) को मनाया जाएगा। यह पांच दिन का उत्सव धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज तक चलेगा। हर दिन का अपना धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। दिवाली के दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा से धन, सौभाग्य और समृद्धि की कामना की जाती है। इस मौके पर कुछ खास मूर्तियां खरीदना और सही दिशा में स्थापित करना शुभ माना जाता है। आइए, जानते हैं पूजा और मूर्ति खरीदने के टिप्स।
मां लक्ष्मी और गणेशजी की मूर्ति
दिवाली पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की नई मूर्तियां घर, दुकान या दफ्तर में स्थापित की जाती हैं। ऐसा माना जाता है कि यह सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि लाती हैं। मूर्ति खरीदते समय ध्यान रखें :
- मां लक्ष्मी की मूर्ति : कमल के फूल पर विराजमान होनी चाहिए, जो स्थायी धन का प्रतीक है। उनका दाहिना हाथ वरमुद्रा में हो। खड़ी लक्ष्मी की मूर्ति न खरीदें, क्योंकि इसे धन के जाने का संकेत माना जाता है।
- भगवान गणेश की मूर्ति : उनके हाथ में मोदक या लड्डू हो, जो सुख-समृद्धि का प्रतीक है। सूंड बाईं ओर मुड़ी हो और वाहन मूषक (चूहा) साथ हो।
शुभ मानी जाने वाली जानवरों की मूर्तियां
वास्तुशास्त्र के अनुसार, दिवाली पर कुछ विशेष जानवरों की मूर्तियां घर में रखना सौभाग्य और धन को आकर्षित करता है :

हाथी की मूर्ति : धन, बुद्धि और शक्ति का प्रतीक। इसे मुख्य द्वार या उत्तर दिशा में रखें।
गाय की मूर्ति : शांति और समृद्धि का प्रतीक। उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) में रखें।
कछुआ की मूर्ति : दीर्घायु और स्थिरता का प्रतीक। उत्तर-पश्चिम दिशा में रखें।
उल्लू की मूर्ति : मां लक्ष्मी का वाहन, जो सौभाग्य और सफलता लाता है। यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और धन हानि से बचाता है।
पूजा और परंपरा
दिवाली की शाम को मां लक्ष्मी और गणेशजी की पूजा की जाती है। पूजा के बाद पुरानी मूर्तियों का विधिवत विसर्जन कर नई मूर्तियां स्थापित की जाती हैं। यह परंपरा पूरे साल के लिए सुख-समृद्धि लाने वाली मानी जाती है।
क्यों खास है दिवाली?
दिवाली सिर्फ दीपों का त्योहार नहीं, बल्कि सकारात्मकता, नई शुरुआत और ईश्वरीय कृपा का प्रतीक है। सही मूर्तियों को सही दिशा में स्थापित करने से धन, सुख और मानसिक शांति मिलती है। यह पर्व धार्मिक, मनोवैज्ञानिक और वास्तु दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।
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